एक दशक से यहाँ नहीं है कोई डाक्टर. फिर भी इसको कहते है अस्पताल
संजय राय.
चितबड़ागांव बलिया स्थानीय राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में एक दशक से किसी चिकित्सक की नियुक्ति ना होने से चिकित्सालय शोपीस बना हुआ है भवन जर्जर है छत का प्लास्टर टूट रहा है और विभाग है कि सुधि लेना भी नहीं चाहता।चितबड़ागांव राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पर आयुर्वेद चिकित्सक का पद सहित फार्मासिस्ट वार्ड बॉय स्वीपर सहित कुल 4 पद सृजित हैं चिकित्सालय पर फार्मासिस्ट वार्ड बॉय और स्वीपर नियुक्त है।
ये सभी प्रतिदिन समय से आते भी हैं। चिकित्सालय में आयुर्वेदिक दवाएं भी उपलब्ध हैं लेकिन चिकित्सक के अभाव में ये सब व्यवस्थायें निरर्थक सिद्ध हो रही हैं ।लगभग 8 वर्षों से चिकित्सालय पर किसी चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हुई। सामान्य जन मानस आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की ओर आकर्षित हो रहा है केमिकल दवाओं की अपेक्षा जड़ी बूटियों की दवाओं का प्रयोग करना लाभकर मान रहा है लेकिन सरकारी तंत्र इतना सूस्त है कि लगभग एक लाख की आबादी के बीच एकमात्र आयुर्वेदिक चिकित्सालय जो नगर पंचायत की 50,000 जनसंख्या के अतिरिक्त लगभग दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आयुर्वेदिक चिकित्सा उपलब्ध कराने का एकमात्र चिकित्सा संस्थान है जो निरर्थक बना हुआ है इसका प्रमुख कारण विभागीय उपेक्षा है नगर पंचायत की लगभग पचास हजार जनसंख्या और ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग दो दर्जन गांवों की 50000 जनसंख्या आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए इसी चिकित्सालय पर निर्भर है ,लेकिन विडंबना यह हैकि इस चिकित्सालय पर 8 वर्षों से घरचिकित्सक की नियुक्ति नहीं की गई और चिकित्सालय शोपीस बना हुआ है।