योगी व आठ अन्य के प्रकरण में दाखिल याचिका खारिज

आफताब फारुकी.

इलाहाबाद। ‎इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोरखपुर के आदेश 28 जनवरी 2017 के विरूद्ध दाखिल याचिका को खारिज कर दिया, जिसके तहत उन्होंने निचली अदालत के संज्ञान लेने के आदेश को अपास्त करते हुए नये सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया था।  मालूम हो कि इस प्रकरण में योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ आठ अन्य अभियुक्तों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गयी थी। यह आदेश न्यायमूर्ति बी.के नारायन ने वादी राशिद खान की याचिका पर दिया है।

वादी की तरफ से अधिवक्ता एसएफए नकवी व राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल एवं अपर शासकीय अधिवक्ता ए.के सण्ड ने तर्क रखे। ज्ञातव्य हो कि याची राशिद खान ने गोरखपुर जिले के कोतवाली थाने में भा.द.सं की धारा 147, 153 ए, 435, 295 506, 379 के तहत 27 जनवरी 2017 को योगी आदित्यनाथ व आठ अन्य लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों द्वारा दिये गये भड़काऊ भाषण से गोरखपुर जिले में अराजकता व्याप्त हो गयी थी।

विवेचना के उपरांत दो जून 2009 को सभी आरोपियों के विरूद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया, लेकिन धारा 153 ए के तहत अभियोजन स्वीकृति न होने की दशा में आरोप पत्र नहीं दाखिल किया गया। निचली अदालत द्वारा दोनों आरोप पत्र को 13 अक्टूबर व 28 नवम्बर 2009 को संज्ञान लिया गया था। इन दोनों संज्ञान लेने के आदेश के विरूद्ध एक अभियुक्त महेश खेमका ने आपराधिक पुनरीक्षण दाखिल किया, जिस पर अपर जिला सत्र न्यायाधीश, गोरखपुर ने 28 जनवरी 2017 को अभियोजन स्वीकृति सक्षम अधिकारी द्वारा न दिये जाने के आधार पर संज्ञान लेने के आदेश को निरस्त करते हुए नये सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया। जिस पर आदेश को वादी द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिसे हाईकोर्ट ने आज खारिज कर दिया।

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