सुंजवान हमला – ऑपरेशन खत्म, 5 जवान शहीद, चार आतंकी ढेर
सनी भगत/निसार शाहीन शाह
जम्मू-कश्मीर के सुंजवान आर्मी कैंप में पिछले 30 घंटे से जारी ऑपरेशन खत्म हो चुका है. एबीपी न्यूज के अनुसार इस आतंकी हमले में 5 जवान शहीद हो गये जबकि सुरक्षाबलों ने 4 आतंकियों को मार गिराया है. इस हमले में 9 अन्य भी घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. खबर की मानें तो आतंकियों के साथ मुठभेड़ खत्म हो चुका है लेकिन सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है. यहां खास बात यह थी कि ऑपरेशन पर सेना प्रमुख बिपिन रावत खुद पैनी नजर रखे हुए थे. शनिवार देर रात ही वे जम्मू पहुंच पहुंचे हैं.
बताया जा रहा है कि सेना कैंप पर हमले को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकियों ने अंजाम दिया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, आतंकी कल सुबह से ही रुक-रुककर जवानों पर फायरिंग कर रहे थे. सेना को मृत आतंकियों के पास से एके-47 और भारी गोला-बारूद मिले हैं. सेना ने कहा था, कि जब तक सभी आतंकी पकड़े या मारे नहीं जाते, ऑपरेशन जारी रखा जाएगा.
हमले को देखते हुए समूचे जम्मू शहर में रेड अलर्ट है. आर्मी कैंप के आधे किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है. केंद्र सरकार की हालात पर पूरी नजर है.
शनिवार तड़के बंदूकों की आवाजों से टूटी नींद
जम्मू के बाहरी इलाके में स्थित इस सैन्य क्षेत्र के पास रहने वाले बाशिंदों की नींद शनिवार तड़के बंदूकों की आवाजों से टूटी. शुरुआत में तो उन्हें लगा कि यह आवाज सैन्य शिविर के भीतर नियमित अभ्यास का है. लेकिन, आवाज तेज होने और शोर के बाद पता चला कि सैन्य शिविर को निशाना बनाया गया है. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने एक बार फिर से जवानों को निशाना बनाने के लिए भोर में हमला करने के फॉर्मूले को अपनाया है.
जवानों के ड्यूटी बदलने का समय
तड़के में जवानों के ड्यूटी बदलने का समय होता है. स्थानीय निवासी मोहम्मद यासीर ने कहा कि सुबह साढ़े चार बजे के बाद धमाके और गोलीबारी की आवाज तेज होती गयी. हमें लगा कि यह नियमित अभ्यास है, लेकिन कैंप के भीतर शोर के बाद हमें अहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है. बताया जाता है कि आतंकी आर्मी कैंप के पीछे के हिस्से की तारबंदी को काट कर भीतर घुसे. उन्होंने संतरी के बंकर पर फायरिंग शुरू कर दी और दो ग्रुप में बंटकर कैंप के अंदर घुस गये. घटनास्थल पर मौजूद सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि सेना ने शुरुआत में बड़े इलाके में फैले कैंप के भीतर नागरिकों को बचाने पर ध्यान केंद्रित किया. पुलिस और सीआरपीएफ ने कैंप के बाहर घेराबंदी कर दी ताकि कैंप से आतंकवादी भाग नहीं सकें.