किसानों ने लगाया प्रशासन पर गुमराह करने का आरोप
लोनी मंडोला योजना से प्रभावित किसानों का धरना आमरण अनशन समाप्त कर देने के बाद अभी भी लगातार जारी है। जहां मंगलवार के दिन धरनारत किसानों ने 13 फरवरी में मंडल कमिश्नर की अध्यक्षता में आवास-विकास परिषद कार्यालय पर हुई वार्ता में किसानों द्वारा उठाये गए सभी मुद्दों का विवरण पत्र द्वारा किसानों को नही दिए जाने पर चर्चा की।
रूप चर्चा के दौरान किसानों का कहना था कि उनकी भूमि अधिग्रहण की प्रकिर्या अधिनियम की धारा 7/17 लगाकर की गई है जो गलत है। जिसका जिक्र विवरण पत्र में नही किया गया है। दूसरा मुद्दा था कि अधिग्रहित जमीन पर वर्तमान में किसान का कब्जा है जिसे जबरन ट्यूवेल , बोरिंग, इंजन व समर सिबल आदि तोड़फोड़ कर व किसानों पर लाठीचार्ज की कार्यवाही करके जबरन कब्जा 2 जून 2017 में दर्शाया गया, जो सत्य नही है। वर्तमान में भी जमीन पर कब्जा किसान का ही है। मात्र 2 प्रतिशत जमीन पर ही आवास- विकास परिषद का कब्जा है। किसानों द्वारा यह भी मुद्दा उठाया गया की गलत अधिग्रहण प्रकिर्या को रद्द किया जाए उसके उपरांत यदि सरकार को जमीन चाहिए तो नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के समस्त लाभ प्रभावित किसानों को दिए जाएं।
किसानों ने एक मुद्दा ये भी उठाया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित आंदोलनरत किसानों को एक समान सर्वाधिक मुआवजा दिया जाए। किसान नेता मनवीर तेवतिया जिनके नेतृत्व में मंडोला किसान आंदोलन चल रहा है उन्हें आगामी वार्ता में किसानों का पक्ष रखने के लिए सम्मिलित किया जाए। इन सभी मुद्दों को विवरण पत्र में न लिखकर किसानों को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
उपरोक्त चर्चा के दौरान मंगलवार के दिन किसानों के धरने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट बैंच स्थापना समिति के महासचिव अनुराग त्यागी अपने साथियों के साथ मंडोला धरने पर पहुंचे बता दे कि किसान नेता मनवीर तेवतिया पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट बेंच स्थापना समिति के अध्यक्ष का कार्यभार संभाले हुए हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के किसान मजदूर को साथ लेकर हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के लिए बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं