अर्थव्यवस्था को गति देने में कैशलेस इकोनॉमी महत्वपूर्ण : त्रिपाठी

कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में ‘भारत में नकदी रहित अर्थव्यवस्था तथा वित्तीय समावेशन’ शीर्षक पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शनिवार को संपन्न हो गया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से जुटे अर्थशास्त्रियों ने कैशलेस इकोनॉमी के नफा नुकसान पर चर्चा की।
अध्यक्षता कर रहे विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि देश की अर्थव्यस्था को गति प्रदान करने में कैशलेस इकोनामी महत्वपूर्ण है। इससे टैक्स की चोरी काफी हद तक रुकती है। जाली नोटों की समस्या से निजात मिलती है। बैंकों के पास विकास के लिए पूंजी और अपराध की फंडिंग में कठिनाई होगी और ई-कॉमर्स को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए विभाग में जल्द ही नया पाठ्यक्रम शुरू होगा। इसमें आरबीआइ, नाबार्ड और देश के शीर्ष वित्तीय संसाधन के साथ समन्वयक बनाया जाएगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डा. राजीव रंजन ने कम नकदी युक्त अर्थव्यवस्था की दिशा में उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों की चर्चा की। उन्होने लकी ग्राहक योजना, वित्तीय आकड़ों की निगरानी और भीम ऐप जैसी डिजिटल भुगतान सुविधाओं को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। बीएचयू के प्रो.एआर त्रिपाठी युवा भारत की क्षमताओं को रेखांकित करते हुए अर्थव्यवस्था में संपादित बारम्बारता पर बल दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. एसए अंसारी ने ने वर्तमान व्यापारिक बैंकों की तुलना किराने की दुकान से करते हुए बैंकों को उत्तरदायित्व पूर्ण रवैया अपनाए जाने की बात कही। प्रो. एसके शुक्ला ने मुद्रा एवं नकदी में भेद करते हुए अर्थव्यवस्था में मुद्रा उपलब्धता के मापन को स्पष्ट रूप से समझाया। नकदी रहित अर्थव्यवस्था एवं वित्तीय साक्षरता’ तथा ‘नकदी रहित अर्थव्यवस्था एवं वंचित वर्ग’ विषयों पर दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। स्वागत प्रो. प्रशांत घोष ने किया। कार्यक्रम में मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. संजय देशमुख ने भारतीय स्टेट बैंक के भूतपूर्व एजीएम रजनीकात उनियाल, आगरा एवं रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के पूर्व कुलपति मो. मुजम्मिल गेस्ट ऑफ आनर रहे।

कार्यक्रम में प्रो. यूएस. राय, प्रो. जगदीश नारायण, प्रो. मनमोहन कृष्णा, प्रो. निशा श्रीवास्तव, जावेद अख्तर, डा. किरन सिंह, डा. अनूप कुमार, डा. स्वाती जैन, डा. धर्मनाथ उरॉव, डा. रेखा गुप्ता, डा. करीम उल्लाह सहित बड़ी संख्या में शिक्षकों एवं छात्रों ने भाग लिया।

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