इस बार चैत्र नवरात्र में हाथी से आएगी माँ दुर्गा एवं हाथी से ही करेगी प्रस्थान भी- जानिए इस नौरात्र कि घट-स्थापना की पूजा और मुहूर्त का समय

समीर मिश्रा

कानपुर. एक वर्ष में चार नवरात्र पड़ते है। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाते हैं। हालांकि गुप्त नवरात्र को आमतौर पर नहीं मनाया जाता लेकिन तंत्र साधना करने वालों के लिये गुप्त नवरात्र बहुत ज्यादा मायने रखते हैं। तांत्रिकों द्वारा इस दौरान देवी मां की साधना की जाती है। शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र भी कहा जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र 18 मार्च से 26 मार्च तक रहेंगे। अबकी बार चैत्र नवरात्र में विशेष यह है कि लगातार चौथे वर्ष चैत्र नवरात्र 8 दिन की होगी, क्योंकि अष्टमी-नवमी तिथि एक साथ है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा को सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी।

मां दुर्गा का वाहन

हाथी पर आएंगी मां दुर्गा. इसका अर्थ है कि नवरात्र शुरू होने पर रविवार या सोमवार को मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार को माता पालकी में आती हैं और बुधवार को मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती है।इस बार पहला नवरात्र रविवार को पड़ रहा है, इसलिए मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आयेगी।

माँ के वाहन से आगमन का फल

गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे। नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणं धुवम्।। अर्थात गज ( हाथी) पर आना पानी की बढ़ोतरी, घोड़ा पर आना युद्ध की आशंका, नौका पर आना मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। डोली पर आना आक्रांत रोग, मृत्यु का भय बना रहता हैं।

इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही है जो कि बहुत ही शुभ है।

माँ के वाहन प्रस्थान का फल

शशि सूर्यदिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोक कुरा, शनि भोमे दिने यदि सा विजया चरणा युद्ध यानकरी विफला। बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन शुभ वृष्टि करा , सुर राज गुरौ यदि सा विजया नर वाहनगा शुभ सोख्य करा।। अर्थात भैंसा पर प्रस्थान करना शोक का माहौल मुर्गा पर जन मानस में विकलता, गज पर शुभ वृष्टि, नरवाहन पर शुभ सौख्य होती हैं। तो इस बार दशमी सोमवार को माता रानी हाथी पर प्रस्थान भी कर रही है जो कि बहुत ही शुभ है।

घट स्थापना मुहूर्त

वृषभ लग्न एक स्थिर लग्न है इसलिए वृषभ लग्न में कलश स्थापित करना अधिक शुभ रहेगा। वृषभ लग्न सुबह 9:30 मिनट से 11:15 मिनट तक रहेगी। इस शुभ कार्यकाल में कलश स्थापित करने लाभकारी रहेगा।

चैत्र नवरात्र की तिथियां

18 मार्च (रविवार), घट स्थापना एवं माँ शैलपुत्री का पूजन।

19 मार्च (सोमवार), माँ ब्रह्मचारिणी का पूजन।

20 मार्च (मंगलवार), माँ चंद्रघंटा की पूजा।

21 मार्च (बुधवार), माँ कुष्मांडा पूजा का पूजन।

22 मार्च (बृहस्पतिवार ), माँ स्कंदमाता का पूजन।

23 मार्च (शुक्रवार ), माँ कात्यायनी की पूजा।

24 मार्च (शनिवार), माँ कालरात्रि पूजा , माँ महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी।

25 मार्च (रविवार ), 2018: राम नवमी।

26 मार्च (सोमवार ), 2018: नवरात्री परायाण।

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