शनि की साढ़ेसाती लाभदायक भी है
ज्यो0 रघुनाथ प्रसाद शास्त्री
विश्वास व परंपरा के आधार पर अभी तक शनि की साढेसाती जातक के लिए हानिकारक व अशुभ मानी जाती है।किंतु कोई ग्रह केवल हानि या केवल लाभ का प्रतीक नहीं माना तथा जो ग्रह अधिक हानिकारक व कम लाभदायक होते हैं उन्हें लाभकारी माना लिया गया है शनि ग्रह चर्चित हानिकारक ग्रह है किन्तु उसका लाभकारी पक्ष भी है
सामान्यता शनि की ग्रह दशा जातक पर 27 सौ दिन प्रभावी रहती है जातक शरीर पर सबसे पहले 4 सौदिन दाहिने हाथ पर संग्रह प्रभावी रहता है इन दिनों जातक को अनेक शारीरिक रोग पीड़ित करते हैं इसके ठीक बाद 6 सौ दिन शनि ग्रहदशा जातक के पैर के अंगूठे पर वास करती इन दिनों अनेकानेक लाभ की संभावना रहती है इसके बाद 4 सौ दिन शनि ग्रह दशा बाये हाथ पर अपना स्थान बनाती है जिसके प्रभाव जातक अनेकानेक यात्रा करता है तात्पर्य है कि प्रारंभ से के 14 सौ दिनों में 1000 दिन जातक के लिए पूरी तरह से शुभ फल देते है।
शनि ग्रह जो दुष्प्रभाव के लिए ख्यातिकरक है।उसका मूल कारण है कि 5 सौ दिन तक वह पेट में प्रवास करता है ।इन दिनों जातक के सामने कठोर आर्थिक संकट आते हैं यहां तक कि जातक दरिद्र जीवन यापन के लिये विवश हो सकता है। उसके बाद शनि 3 सौ दिन जातक के शीश पर आरुढ़ हो जाता है ।इस समय जातक को धन सम्मान को अर्जित करता है अर्थात यह दिन लाभकारी होते हैं इसके बाद 2 सौ दिन शनि जातक के दाहिने नेत्र प्रभावी होता है। इन दिनो मे में जातक एश और सौभाग्य का प्रतिफल हाशिल कर सकता है।तथा 2 सौ दिन शनि का निवास होता है।इस काल में जातक के जीवन में सुख सम्रद्धि का फलोंदय ही होता है।शनि ग्रह के अंतिम सौ दिन गुदा में प्रवास के है।ये दिन जातक के लिए परेशानी व कठिनाइयों से भरे हो सकते हैं।इन दिनो मे जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट उठाना पड़ सकता है।शनि की साढेसाती दशा में 14 सौ दिन कष्टप्रद तथा 13 सौ दिन शुभ व लाभ कारी होते हैं।
इन कष्टप्रद दिनों में जाताक को चाहिए कि पनबिछुआ का पेड़ शनिवार को एक हाथ से उखाड़ कर उसकी जड़ काले कपड़े में करके दाहिने हाथ में बांध ले तो निसंदेह कष्ट व नुकसान से बचा जा सकता है।