दो चिंकारो की हत्या पर पिछले 20 वर्षों से देश विदेश में हलचल,सैकड़ों गायों की मौत पर खामोशी क्यों..?

सुदेश कुमार

बहराइच।सभी जानते हैं कि पिछले 20 वर्षों से दो चिंकारो की हुई हत्या में बॉलीवुड स्टार सलमान खान कई मर्तवा जेल व रिहाई के बाद एक बार फिर जेल पहुँच गए।और हमारी मीडिया द्वारा खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा हुवे फैसले के प्रति पल पल की जानकारी की लाइव टेलीकास्ट कर जो अपनी जिम्मेदारी दिखाने की कोशिश की गयी यक़ीनन इसकी प्रशंशा की ही जानी चाहिए। भले ही यह मामला किसी सेलिब्रेटी से ही जुड़ा हुवा क्यों न रहा हो?
लेकिन यदि हम इसके ठीक उलट बात करें तो इस जिले में भी जिला चिकित्सालय में तैनात तत्कालीन एसीएमओ डा0 जे0 एन0मिश्रा वर्तमान स्वास्थ्य निदेशक लखनऊ के ग्राम बुबका पुर स्थित फार्म हाउस पर जब सैकड़ों गायों की मौत का मामला मार्च 017 को सुलगा था तो अल्प समय के लिए जनपद की मीडिया में जंगल में लगी आग की तरह चर्चा का विषय बना उक्त प्रकरण कहावत गधे के सिर से सींग की तरह अचानक लोगों की जुबान से न जाने कैसे गायब हो गया ?
हालांकि पशु क्रूरता अधिनियम के तहत इनके ऊपर जो केस दर्ज हुवा उसमे अधिकतम 3 वर्ष का कारावास होने की दशा में कोर्ट के 7 साल तक की सजा पर रोक के आदेशों के कारण वे गिरफ्तारी से बचते रहे लेकिन उक्त फार्म हाउस पर गायों की मौत के अलावा फर्जी व बगैर किसी दिशा निर्देश के औषधियों के निर्माण के खुलासे के बाद इनकी गिरफ्तारी के कयास लगाये जाने लगे थे।
ऐसे माहौल में सभी की निगाहें प्रशाशन द्वारा किये जाने वाले बड़ी कार्यवाही पर टिकी थी।क्योंकि प्रशाशनिक छापेमारी में ही उक्त फार्म हाउस पर बड़े पैमाने पर अर्ध निर्मित दवाएं,दुर्लभ जड़ी बूटियां व अन्य प्रकार के दवा बनाने की सामग्री बरामद होने के बाद भी श्री मिश्रा पर औषधि अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज न होने की वजह से वे गिरफ्तारी की बेड़ियों से बचते रहे।क्योंकि इनके द्वारा गायों को भूखा रखकर मारने की जो बात प्रकाश में आ रही थी उस आधार पर उ0प्र0 गौवध अधिनियम के तहत एफआईआर पंजीकृत होना चाहिए था लेकिन श्री मिश्र के असरदार व्यक्ति होने के कारण उनके विरुद्ध उचित धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज ही नहीं की गई और संभवतः पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें गिरफ्तारी से बचने का परोछ रूप से मौका भी दिया जाता रहा ।जबकि ख़ास बात यह भी रही कि उक्त दर्ज की गई रिपोर्ट को पुलिस द्वारा सार्वजानिक न किये जाने के कारण भी लोगों में संदेह की स्थिति बानी होने के साथ साथ उक्त मामले में समय समय पर मीडिया में भी मामला न उठने का जबरदस्त लाभ डा0 जेएन मिश्रा को मिलता रहा।
अब यहाँ मामला चाहे सलमान खान का हो या श्री मिश्रा का कम से कम कानून को तो अपना काम करना ही चाहिए।वह भी तब जब मौके पर खुद एएसपी दिनेश त्रिपाठी,डा0 बलवंत सिंह व एसडीएम कैसरगंज सहित कई अधिकारी मौजूद रहे हों।
जबकि सलमान के मामले में तो घटनास्थल पर कोई अधिकारी भी मौजूद नहीं था,ऐसे में लोगों का यही कहना था किअदालत की जितनी भी प्रशंशा की जाय कम है।लेकिन जनपद में घटी उक्त घटना के मामले में प्रशाशन स्तर पर सिर्फ लीपापोती करने की ही कोशिश की गई।जिसका सीधा फ़ायदा श्री मिश्रा को परोछ रूप से मिलता रहा।
फिर भी यदि हम बात न्याय की करें तो उक्त अधिनियमों को लेकर सच्छम न्यायालय में चल रहे क्रॉस एफआईआर दर्ज किये जाने को लेकर एक वाद से आज भी जिले सहित पूरे प्रदेश को कोर्ट के आदेश का बेसब्री से इन्तजार है

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