फेरीफेरल हाईवे के उद्घाटन पर किसान अपनी जमीन हुआ कब्जा लेंगे वापस
सरताज खान
गाजियाबाद / लोनी मंडोला आवास-विकास परिषद योजना से प्रभावित किसानों का सत्याग्रह आंदोलन पिछले 17 माह से जारी है। इस दौरान प्रशासन द्वारा समझौते के नाम पर कई बार अपनाई गई उनकी छलावे की नीति व अपमान से नाराज अब धरने पर बैठे किसानों के बीच आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। जिसे देख लगता है 15 अप्रैल के दिन उनका यह गुस्सा फूटने वाला है। जिन्होंने एक पंचायत कर यह निर्णय लेते हुए घोषणा करी है कि पेरिफेरल हाईवे के उद्घाटन के दिन वह अपने खेतों की जुताई करके उसपर जबरन किया गया कब्जा वापस लेंगे।
धरने पर एकत्रित गांव मंडोला, नानू व पंचलोक समेत सभी प्रभावित किसानों ने वहां पंचायत करते हुए कहा कि शासन-प्रशासन लगातार धरनारत किसानों को अंधकार में रखकर अपना उल्लू सीधा करते आ रहा है। जिसने कुछ दिन पूर्व मार्च माह में किसान नेता मनवीर तेवतिया की उपस्थिति में होने वाली शासन स्तरीय वार्ता कराकर किसानों के मुद्दे हल करने की बजाए उल्टा किसानों की अनदेखी करके उन्हें अपमानित करने का काम किया है और आवास- विकास परिषद द्वारा विवादित योजना में लगातार निर्माण कार्य कराया जा रहा है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सर्वसम्मति से लिया निर्णय
हर पहलू पर चर्चा के बाद शासन-प्रशासन के रवैए से नाराज आक्रोशित किसानों ने आखिर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 15 अप्रैल, जिस दिन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पेरिफेरल हाईवे का उद्घाटन करने आ रहे हैं। उस दिन सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टरों के साथ हजारों महिला व पुरुष किसान अपने खेतों पर जबरन लिया गया कब्जा वापस लेने का काम करेंगे व 600 भूमिहीन मजदूरों के जबरन कब्जाए गए आवासीय प्लाट के बदले 600 फ्लैट पर मजदूरों की नेम प्लेट में ताले लगाएंगे।
आर-पार की होगी लड़ाई
किसानों का कहना है कि जब योजना विवादित है और सरकार किसानों के मुद्दे हल करना चाहती है। तो समाधान होने तक योजना में सभी कार्य बंद क्यों नहीं कराए गए। जिसने 17 महीनों से धरने पर बैठे किसानों व भूमिहीन मजदूरों की सुनवाई न करके उन्हें इस तरह का निर्णय लेने के लिए मजबूर किया है कि अब किसान आर-पार की लड़ाई के लिए अपना मन बना चुके हैं