दलितों के बवाल से भी नहीं बच सका लोनी
सरताज खान
गाजियाबाद / लोनी सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी एक्ट में बदलाव से नाराज दलित समाज के लोगों द्वारा भारत बंद के आह्वान पर सोमवार के दिन देश के विभिन्न नगरों में उन्होंने जो हंगामा काटा उससे लोनी क्षेत्र भी अछूता नहीं रह सका और हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। हालांकि गनीमत यह रही कि छुटपुट घटनाओं को छोड़ दे तो अधिकारियों की कार्यकौशलता के चलते कोई बड़ा हादसा होने से टल गया। इस दौरान विभिन्न संगठनों द्वारा संदर्भ को लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपे गए।
सुबह लगभग 9 बजे सैकड़ों की तादाद में हाथों में झंडे लेकर लोनी तिराहे पर एकत्रित हुए दलित समाज के लोग वहां देखते ही देखते हजारों की भीड़ में तब्दील हो गए थे। जिनमें महिलाएं भी शामिल थी जो क्षेत्र के मुख्य मार्गों पर उतर कर हंगामा काटने लगे थे। जिनके तेवरों को देख दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर ली थी। यहां तक की सड़कों पर वाहनों का आवागमन भी थम सा गया था। एससी एसटी एक्ट के बदलाव के विरोध में सड़कों पर उतरे दलितों ने सरकार के विरुद्ध भी जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उनमें शामिल शरारती तत्वों ने कुछ वाहनों को क्षति भी पहुंचाई। यही कारण था कि कुछ घंटो तक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह थम सी गई थी। दूसरी ओर प्रदर्शनकारी लोनी के मुख्य बाजार में खुली कुछ दुकानों की ओर भी दौड़े थे जिनके इरादों को भापते हुए वहां भारी पुलिस बल सहित खड़े पुलिस क्षेत्राधिकारी दुर्गेश कुमार व उपजिलाधिकारी अमित पाल शर्मा ने सूझबूझ का परिचय देते हुए किसी अप्रिय घटना को होने से टाल दिया।
कानून परिवर्तन में पुनर्विचार के लिए सौंपे ज्ञापन
उक्त संदर्भ में लोनी तहसील बार एसोसिएशन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया व डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विचार मंच आदि की ओर से उपजिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए उन्होने कहां है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति निवारण अधिनियम 1989 की व्यवस्था मैं बदलाव कर भारतीय मूलनिवासी दलित, शोषित, पिछड़े, अनुसूचित जाति जनजाति समाज पर अत्याचार करने वाले सामान्य सोच रखने वाले कानून व मानव अधिकार को न मानने वालों को पूर्व की भांति बढ़ावा मिलेगा। अपने ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने उक्त संदर्भ का पुन: संज्ञान लेते हुए कानून में फेरबदल न करने के लिए मांग की है।