कानपुर – बिरहना रोड बना बेख़ौफ़ शोहदों का अड्डा.
रिजवान अख्तर.
कामपुर. बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान देश में कितना सफल है इस पर राजनैतिक बहस ज़रूर हो सकती है. मगर देश में आज भी बेटिया सुरक्षित नहीं है जैसे वाक्यों पर हम बिना बहस किये ही राज़ी हो जायेगे. आये दिन कही रेप, कही छेड़छाड़ की घटनाये संज्ञान में आ रही है. अपना शहर कानपुर भी इन घटनाओ से अछूता नहीं है.
शहर के थाना फीलखाना अंतर्गत बिरहना रोड क्षेत्र एक प्रकार से कोचीन की एक बड़ी मंडी के तौर पर उभरा है. इस क्षेत्र में शहर के अलग अलग हिस्सों से बच्चे बच्चिया पढने के लिये और अपना भविष्य सुधारने के लिये आते है. मगर इन बच्चियों के पीछे पीछे शहर के कोने कोने से शोहदे भी अपने बिगड़े भविष्य के साथ वर्तमान का अन्धकार समेटने चले आते है. ख़ास तौर पर जब कोचिंग सेंटरों की छुट्टिया होती है तो इन शोहदों की फब्तियो से अक्सर बच्चियों को रूबरू होना पड़ता है. इनमें काफी ताय्दात बड़े बाप की बिगडैल औलादी की रहती है जो महँगी गाडियों से आकर इस क्षेत्र के चाय पान के खोमचो पर खड़े होकर सिगरेट का धुआ उड़ाते है और अपने लडकियों को छेड़ने के ज़लील शौक पुरे करते है. थाने के चंद कदमो की दूरी पर होने के बावजूद उनको किसी की डर नहीं रहती है क्योकि वह जानते है कि उनके बड़े बाप उनको छुडवा लेंगे.
आज भी कुछ इसी प्रकार की घटना घटी जब एक कोचिंग से वापस अपने घर को निकली छात्रा के साथ कुछ शोहदों ने छेड़खानी किया. इसमें सबसे शर्मनाक बात यह रही कि लड़की ने जब उन शोहदों का विरोध किया तो हौसला बुलंद शोहदों ने उसके साथ हाथापाई और मारपीट भी किया. बीच बाज़ार हो रही इस ज़लील घटना को देखने के लिये वहा काफी लोग थे. कई दुकानदार थे. कई राहगीर थे, मगर मजाल जो कोई इनमे से आकर उन शोहदों का विरोध कर पाता, नहीं सब मूकदर्शक बने देख रहे थे. लानत है इस ख़ामोशी पर कि किसी ने उस बच्ची को बचाने का प्रयास भी नहीं किया क्योकि वह बेटी शायद उनकी नहीं थी. सब केवल मूकदर्शक बने रहे और लड़की के साथ मारपीट तक हो गई. इसके बाद शोहदे मौके से फरार हो गये.
रो-रोकर बेटी ने अपने परिजनों को फोन पर घटना की जानकारी प्रदान किया. जानकारी होने पर परिजनों ने पुलिस को सूचित करते हुवे मौके पर पहुचे. मगर तब तक शोहदे मौके से फरार हो चुके थे. पुलिस ने मौके पर आकर कोरम ज़रूर पूरा किया और शोहदों के सम्बन्ध में पूछताछ भी किया मगर कोई उन शोहदों को पहचानता नहीं थे, शायद इसको शोहदों का खौफ कहे या फिर क्षेत्र के उन आम जनता की बुजदिली जो इतना कुछ होने के बावजूद कुछ नहीं बोली.
खैर साहब पुलिस तो घटना की जाँच में जुटी हुई है. राहगीर अपने रास्ते घर को जा चुके है. बेटी अपने परिजनों सहित अपने घर को जा चुकी है. मगर सवाल अभी भी अधुरा है. इस प्रकार की घटनाओ की रोकथाम के लिये स्पेशल एंटी रोमियो स्क्वाड बनी थी. आज भी उसमे पुलिस कर्मी और अधिकारी मौजूद है. पास में थाना है पुलिस के लगभग नाक के नीचे ही लगने वाली शोहदों की इस मंडी पर अभी तक पुलिस की कार्यवाही नहीं करना बहुत कुछ खुद में बिना बोले कहता है,