परिनीबूत्त माता जगपुरनी देवी के छठवें परिनिर्वाण दिवस पर सम्मान समारोह का हुआ आयोजन
रूपेंद्र भारती
घोसी /मऊ : बहुजन कल्याण परिषद /महाबोधि समाज सेवा समिति उ.प्र. माछिल जमीन माछिल, घोसी-मऊ के तत्वावधान परिनीबूत्त माता जगपुरनी देवी के छठवें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर जगपुरनी देवी स्मृति व्याख्यानमाला एवं बहुजन प्रेरणा सम्मान समारोह का आयोजन माछिल जमीन माछिल में किया किया गया। तथा इस अवसर पर “भारत में राष्ट्रवाद की अवधारणा एवं सामाजिक संरचना ” विषय का विषय प्रवेश कार्यक्रम के आयोजक डॉ. रामविलास भारती ने किया।
तदोपरांत इस विषय पर सम्बोधित करते हुए डॉ. भीम राव आम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रो. नन्द किशोर मोरे ने कहा कि जब तक भारत का लोकतंत्र ज्वलंत लोकतंत्र नही होगा तब तक राष्ट्रवाद नही आएगा और ज्वलंत तभी होगा जब सामाजिक चेतना पनपेगी। कुछ लोग राष्ट्रवाद आज अपने तरीके से देख रहे हैं जो भारत को कभी एक नही माना। आध्यक्षीय सम्बोधन में इलाहाबाद से आये वरिष्ठ अधिवक्ता और साहित्यकार गुरु प्रसाद मदन ने कहा कि तीन शब्द भारत, सामाजिक संरचना एवं राष्ट्रवाद अपने में अहम सवाल खड़े करते हैं, वास्तव में बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर के अनुसार जातिविहीन, वर्गविहीन समाज की परिकल्पना सर्वोपरि है इसके वगैर भारत में राष्ट्रवाद सम्भव नही है।
गोरखपुर से वरिष्ठ कवि, शायर एवं आई आर एस. अधिकारी वी.आर.विप्लवी ने कहा कि भारतीय सामाजिक संरचना में जब एकरूपता होगी तभी राष्ट्रीयता दिखेगी। बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर ने भी राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद पर जो अपना मत दिया वही सही रूप में भारत का राष्ट्रवाद है इधर कुछ इसे जातिगत तरीके से देखा जा रहा है जी ठीक नही है। गोरखपुर से ही चिन्तक एवं पी.ई.एस. अधिकारी के.सी. भारती ने कहा कि भारत में राष्ट्रवाद को लोगो ने विभिन्न नजरिये से देखते हैं किंतु बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर का नजरिया भारत के लिए ज्यादा प्रासंगिक है। मऊ से अभिनव कदम के सम्पादक डॉ. जयप्रकाश राय धूमकेतु ने कहा कि जिन लोगो ने अंग्रेजों से हाथ मिलाया, जो संविधान को समाप्त करने की बात करते हैं वही राष्ट्रवाद की वकालत करते हैं जो ठीक नही है।
बरेली से आये वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बी. आर. बुद्धप्रिय ने कहा कि भारत की प्रस्तावना जो संविधान में निहित है सही अर्थों में यदि अमल में लाया जाय तो वही राष्ट्रवाद होगा। इलाहाबाद से आये वरिष्ठ दलित चिंतक डॉ. बृजेन्द्र कुमार गौतम ने कहा कि यह देश अनपढ दलित आदिवासी की परिकल्पना से समृद्ध हुआ है , दुःख इस बात का है कि राष्ट्रवाद का कहर सबसे ज्यादा उसी पर पड़ा है। हासिये पर लाया गया समाज आज भी भूख के आगे राष्ट्र को नही समझ पा रहा है।
इस अवसर पर अमृत लाल गौतम, अमर सिंह, मनोज कुनार, राघवेंद्र, नित्यप्रकाश यादव, राजेश वर्मा, पी. राम, रामरतन राम ने संबोधित किया। समिति द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष दीनदयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध पूर्व प्रोफेसर एवं इतिहासकार प्रो. एस. एन. आर.रिजवी, इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय एवं साहित्यकार, चिन्तक गुरू प्रसाद मदन, बरेली के वरिष्ठ कवि म, साहित्यकार एवं चितक डॉ. बी. आर. बुद्धप्रिय, एवं इलाहाबाद के वरिष्ठ दलित चिन्तक डॉ. बृजेन्द्र कुमार गौतम को सामाजिक, शैक्षिक एवं सांस्कृतिक-धम्मिक कार्यो के लिए जगपुरनी देवी बहुजन प्रेरणा सम्मान कार्यक्रम के संरक्षक बरखु प्रसाद, आई. टी.एस. अधिकारी श्रवण कुमार, शिवकुमार भारती व आयोजक डॉ. रामविलास भारती द्वारा दिया गया।
इस अवसर पर 60 गरीब पात्र महिलाओं, बुजुर्गों एवं दिव्यांगों को आयोजक/समिति द्वारा दिया गया। अंत मे कार्यक्रम के संरक्षक श्रवण कुमार’ आई. टी.एस., महाप्रबंधक दूरसंचार ने आभार व्यक्त किया।तथा कार्यक्रम का संचालन लोकतंत्र सेनानी रामअवध राव ने किया। इस अवसर पर सुशांत भारती, प्रशांत भारती, रामभवन प्रसाद, अखिलेश, चन्द्रशेखर, भोला, कन्हैया लाल, बाबूराम, सुभाष चंद राम, विजय कुमार, पी.डी. टंडन, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. सुधा, मीना, सारधा, नूतन,प्रिया, तरुणा, अजय कुमार, गुलाबचंद आदि उपस्थित रहे।