उपचुनाव में भाजपा की हार के ये रहे मुख्य कारण
अज़ीम कुरैशी
कैराना लोकसभा व नूरपुर विधानसभा सीट पर 28 मई को मतदान हुआ था सपा बसपा रालोद और कांग्रेस की एकजुटता से बने महागठबंधन से पूर्व तबस्सुम हसन को कैराना और नूरपुर से नईमुल हसन को प्रत्याशी बनाया गया था महागठबंधन ने मुस्लिम, दलित, जाट समीकरण के आधार पर चुनावी रणनीति तैयार की थी गुरुवार को आए परिणाम में महागठबंधन के प्रयोग पर जनता ने जीत की मोहर लगा दी
कैराना व नूरपुर में मतगणना के शुरुआत से अंत तक भाजपा पिछड़ती रही 28 चक्र तक चली मतगणना में महागठबंधन प्रत्याशी तबस्मुम हसन ने मृगांका सिंह को 44618 वोट से शिकस्त दी पांच में तीन विधानसभा में भाजपा की बड़ी दुर्गति हुई राज्यमंत्री सुरेश राणा की थानाभवन विधानसभा में भाजपा 16336 वोट से हारी जबकि इसी लोकसभा से दूसरे राज्यमंत्री धर्मवीर सिंह सैनी की नकुड़ विधानसभा से मृगांका सिंह 28117 वोट से पिछड़ गईं गंगोह विधानसभा में अपना विधायक प्रदीप चौधरी होने के बाद भी भाजपा 12263 वोट से पिछड़ गई कैराना विधानसभा में भाजपा को चौंकाने वाली 14203 वोट की बढ़त मिली इसे सहानुभूति वोट के रूप में देखा जा रहा है
शामली में भाजपा किसी तरह 414 वोट से जीत हासिल कर अपनी इज्जत बचा पाई कैराना लोकसभा सीट पर आए परिणामों को भाजपा की अंतर्कलह, कार्यकर्ताओं की उदासीनता पिछड़ों में बंटवारे व सत्ता से नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है दलितों की पसंद भी गठबंधन प्रत्याशी रहा नूरपुर में नईमुल हसन ने 94866 तथा अवनी सिंह ने 89188 वोट हासिल कि यहां भाजपा प्रत्याशी अवनी सिंह पिछले विधानसभा चुनाव से दस हजार ज्यादा वोट हासिल करने के बाद भी चुनाव हार गईं
कैराना में जाटों ने रालोद तो नूरपुर में भाजपा को अपनाया
कैराना में भाजपा के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी जाट मतदाता रालोद के साथ खड़े दिखे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान, केन्द्रीय मंत्री सत्यपाल व तमाम जाट विधायक यहां कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए, जबकि रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह व जयंत चौधरी ने कैराना में दिन-रात प्रचार किया। नूरपुर में ज्यादातर जाट मतों के भाजपा के पाले में जाने की चर्चा है।