साईं बाबा की मूर्ति हुई खंडित, स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद और उनके शिष्यों पर मुकदमा दर्ज

ईदुल अमीन

वाराणसी। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मंदिर और मूर्तियों को तोड़े जाने का विरोध कर रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती खुद मूर्ति तोड़े जाने के आरोप में फंस गए हैं। मामला जैतपुरा थानाक्षेत्र के औसानगंज स्थित उर्धवेश्वर महादेव मंदिर का है। इस मंदिर में साई बाबा के मूर्ति क्षतिग्रस्त होने के बाद इस मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और उनके शिष्यों पर थाना जैतपुरा में कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

जैतपुरा पुलिस के मुताबिक बुधवार सुबह औसनगंज इलाके से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मंदिर बचाओ आंदोलन के दौरान पदयात्रा करते हुए गुजरे थे। इस दौरान उर्धवेश्वर महादेव मंदिर के पास रुक कर वह दर्शन के लिए गए। इसी मंदिर के एक हिस्से में साईं बाबा की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के जाने के बाद तीन लोग दौड़ कर मंदिर से बाहर भागे। इसके बाद ही साईं बाबा की मूर्ति के बाएं पैर का अंगूठा टूटा हुआ मिला। जैसे ही मामले की जानकारी इलाकाई लोगों को मिली, लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया।

मामले की जानकारी मिलने पर इंस्पेक्टर विजय कुमार चौरसिया फोर्स के साथ पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने मामले की जांच शुरू की। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज खंगाला, जिसमें पदयात्रा में शामिल लोगों के मंदिर में जाने और भागकर बाहर आने की पुष्टि हुई। एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले में जैतपुरा पुलिस ने अभिषेक जायसवाल की तहरीर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती सहित उनके 20 शिष्यों के खिलाफ 147, 149, 295, 295 (C),153 C, 505 (2) (3) आईपीसी और 7 क्रिमनल एमेंडमेंट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

वहीं इस मामले में जब स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द से बात की गई तो उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आंदोलन के तहत काशी खंडोक्त में वर्णित मंदिरों का दर्शन पूजन चल रहा हैं। उन्होंने कहा कि बुधवार को आठवां दिन हैं, और काशी विश्वनाथ क्षेत्र में मूर्तियों को तोड़ने का विरोध चल रहा है। इसके लिए कठिन पदयात्रा चल रही है। ऐसे में मूर्ति तोड़े जाने का आरोप निराधार है। उन्होंने कहा कि वे, उनके गुरु स्वामी स्वरूपानंद और उनके शिष्य सभी सनातन धर्म के मंदिरों में साईबाबा के मंदिर के स्थापना के विरूद्ध हैं, लेकिन वे और उनके अनुयायी भक्त किसी भी मंदिर में स्थापित मूर्ति को तोड़ने में विश्वास नही रखते, ऐसे में उनके और उनके शिष्यों पर लगे सभी आरोप निराधार हैं।

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