अधिकारी नहीं ले रहे सुधि, डाक सेवाएं प्रभावित

कनिष्क गुप्ता

इलाहाबाद : ग्रामीण डाक सेवकों के हड़ताल व कार्य बहिष्कार के 11 दिन बाद भी न तो जिम्मेदार अधिकारी इसकी सुधि ले रहे हैं न तो सरकार की तरफ से कोई आश्वासन दिया जा रहा है। इस हड़ताल का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। न तो लोगों के घर तक डाक पहुंचाया जा रहा है तो डाकघरों में जरूरी कार्य किए जा रहे हैं। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा।

ग्रामीण डाक सेवकों की हड़ताल से ग्रामीण डाकघरों में कार्य प्रभावित हो रहा है। अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ के आह्वान पर जिले के सभी ग्रामीण डाक सेवक 22 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। अधिकांश डाकघरों में दिन भर ताला लटकता रहा।

कर्मचारी संघ ने सातवें वेतन आयोग को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। ग्रामीण डाक सेवकों ने चेतावनी दी है कि, कर्नल कमलेश चंद्र कमेटी की सकारात्मक सिफारिशों को लागू किए जाने पर सार्थक प्रगति के बगैर हड़ताल वापस नहीं होगी।
कोरांव, मेजा रोड, करछना, जारी जसरा, शंकरगढ़, नैनी, भरवारी, सरायअकिल, मंझनपुर सिराथू, मऊआइमा, सोरांव, फूलपुर, हंडिया, बरौत, सैदाबाद, हनुमानगंज आदि डाकघरों पर धरना प्रदर्शन व नारेबाजी होती रही। घूरपुर, शंकरगढ़ आदि शाखा डाकघरों में दिन भर ताला लटकता रहा।

मंडल सचिव धर्मराज सिंह ने कहा कि सातवें वेतन आयोग के साथ ग्रामीण डाक सेवकों के लिए बैठाई गई कमलेश चंद्र कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दो साल पहले ही दे दी थी, लेकिन केंद्र सरकार व डाक विभाग की फाइलों में दबी है। इस उपेक्षापूर्ण रवैये से ग्रामीण डाक सेवकों में आक्रोश व्याप्त है। जनपद ही नहीं बल्कि देश भर की ग्रामीण अंचलों की डाक सेवा ठप हो गई है।

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