एक निवेदन’ ने भड़काई थी इविवि में आग

कनिष्क गुप्ता

इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रावासों को खाली कराने के आदेश के बाद हुई ¨हसक झड़पों, आगजनी, तोड़फोड़ के बाद हॉस्टल वॉशआउट का फैसला वापस ले लिया गया है। दोबारा बवाल न हो इसको लेकर एहतियातन विश्वविद्यालय कैंपस, मुख्य द्वारों व छात्रावासों में पुलिस व पीएसी का पहरा लगा दिया गया है।

विश्वविद्यालय ने वॉशआउट का फैसला जून में कुछ प्रतियोगी परीक्षाएं होने का हवाला देते हुए इस निर्णय को वापस लेने की बात कही है। कहा है कि इन प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत से अंत:वासी सम्मिलित हो रहे हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या परीक्षाओं की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को पहले नहीं थी।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रावास के वॉशआउट के फैसले के बाद ही छात्रों ने आंदोलन की रणनीति बना ली थी। देर रात सभी छात्रावासों में एक नोटिस चस्पा की गई थी। समस्त अंत:वासी छात्र की ओर से जारी ‘एक निवेदन’ नाम से नोटिस में कहा गया था कि जैसा कि आप सभी को अवगत हो गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की सुनियोजित साजिश के तहत छात्रावासों को वॉशआउट का तानाशाही फरमान चार जून को जारी किया गया है। उसी दिन एक ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ रजिस्ट्रार कर्नल हितेश लव को सिर्फ इसलिए हटा दिया गया ताकि वॉशआउट कराया जा सके। अत: आप सभी से निवेदन है कि वॉशआउट के इस तानाशाही आदेश के खिलाफ एवं अपनी अपनी छतों को बचाने के लिए सक्रिय रूप से भागीदारी करने के लिए पांच जून की सुबह 11 बजे वृहद आंदोलन के लिए छात्रावास पर एकत्रित हों। इसके लिए छात्रनेताओं ने रातभर कैंपेनिंग भी की।

इस भावनात्मक आह्वान का यह असर रहा कि सुबह 10 बजे से ही छात्रावास पर छात्रों का जुटना शुरू हो गया। 11 बजे तक करीब पांच सौ छात्र एकत्र हो गए। यूनियन भवन से छात्र जुलूस की शक्ल में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए डीएसडब्ल्यू कार्यालय व चीफ प्रॉक्टर कार्यालय होते हुए कुलपति कार्यालय पहुंचे। कुलपति कार्यालय पर मौजूद पुलिसबल ने छात्रों को ऊपर जाने से रोकने का प्रयास किया तो तकरार होने लगी। छात्र कुलपति से मिलने की मांग कर रहे थे और पुलिसबल उन्हें रोक रही थी। इसी में झड़प हुई। थोड़ी देर में ईट-पत्थर चलने लगे।

छात्राओं ने भी निकाला मार्च

हास्टल वॉशआउट के मुद्दे पर महिला कॉलेज परिसर में रहने वाली छात्राओं ने भी मार्च निकाला। हालांकि यह मार्च शांतिपूर्ण रहा। इसमें छात्रावास आइएएस व पीसीएस की परीक्षा के बीच खाली कराए जाने का विरोध किया गया।

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