प्रेम विवाह करने वाली नाबालिग लड़की स्वतंत्र, नारी निकेतन में रखने का आदेश रद
कनिष्क गुप्ता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम विवाह करने वाली देवरिया की 16 साल की नाबालिग लड़की को बलिया के नारी निकेतन में रखने के न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने उसे अपनी मर्जी से पति के साथ जाने के लिए स्वतंत्र कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने काजल निषाद की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि घर से भाग कर शादी करने वाली किसी नाबालिग लड़की को माता पिता के साथ रहने से इन्कार करने पर बालिग होने तक नारी निकेतन में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट के आदेश से यदि उसे नारी निकेतन में रखा गया है तो वह अवैध निरुद्धि में नहीं मानी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मर्जी से विवाह करने का अधिकार है। राज्य सरकार को इस पर नियंत्रण का वैधानिक अधिकार नहीं है।मालूम हो कि काजल निषाद ने रवि निषाद से घर से भाग कर शादी कर ली। यह शादी काजल के माता पिता की मर्जी के खिलाफ थी। पांच फरवरी 2018 को देवरिया के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने नाबालिग होने के कारण याची को नारी निकेतन में भेज दिया। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याची का कहना था कि उसे उसकी मर्जी के खिलाफ निरुद्ध किया गया है। कोर्ट में हाजिर हुई याची को मां के साथ कोर्ट ने बातचीत का मौका दिया। इसके बाद कोर्ट ने पूछा तो याची ने मां के साथ जाने से इन्कार कर दिया और कहा कि वह अपने पति के साथ जाना चाहती है। मां की तरफ से कहा गया कि याची नाबालिग है। सही निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। लेकिन, कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और शीर्ष कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए नाबालिग याची को अपने पति के साथ जाने की छूट दे दी। कोर्ट ने कहा कि याची अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेने में सक्षम है।