बिहार बोर्ड मैट्रिक मैट्रिक रिजल्ट से पहले 40 हजार कॉपियां गायब, FIR दर्ज

गोपाल जी

बिहार बोर्ड मैट्रिक की उत्तर पुस्तिका गायब होने की गोपालगंज में एफआईआर दर्ज होते ही बिहार बोर्ड में हड़कंप मचा रहा। सोमवार को बिहार बोर्ड में कर्मी इसकी चर्चा में मशगूल रहे। वहीं, बोर्ड अधिकारी पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।

गोपालगंज में कॉपियां गायब होने की जांच चल रही है। पुलिस को अभी कुछ हाथ नहीं लगा है। सोमवार रात तक उत्तर पुस्तिका का पता नहीं चल सका था। एसएस प्ल्स टू हाई स्कूल, गोपालगंज से गायब 213 बैग में हिन्दी के 13, राष्ट्रभाषा हिन्दी के तीन, उर्दू के एक, अंग्रेजी के 14, एससी के 115, मैथ्स के 16 व एसएससी के 50 बैग शामिल हैं। एक बैग में 200 उत्तरपुस्तिकाएं होती हैं। इसके अलावा एडवांस मैथ्स की 61 व अर्थशास्त्र की 44 उत्तरपुस्तिकाएं गायब हैं।

इन कॉपियों के नहीं मिलने पर मूल्यांकन केंद्र के कर्मचारी शक के दायरे में आ गए हैं। मैट्रिक का रिजल्ट एक दिन बाद घोषित होना है। ऐसे में बोर्ड अधिकारियों और कर्मचारियों को डर है कि यदि किसी छात्र ने आरटीआई के तहत कॉपी मांगी तो बोर्ड नहीं दे पाएगा।

मूल्यांकन केंद्र पर उठ रहे सवाल :

परीक्षा और मूल्यांकन केंद्र में सख्ती के बाद अब कॉपियां गायब होने से एक बार फिर मूल्यांकन केंद्र पर सवाल उठ रहे हैं। वर्ष 2016 में हुए टॉपर घोटाले में भी कॉपियां गायब होने का मामला सामने आया था। उस समय टॉपरों की कॉपियों का मूल्यांकन दूसरे केंद्र पर कराकर मनचाहा नंबर दे दिया गया था। ऐसे में आशंका है कि यहां की कॉपियां भी गायब की गई है। ऐसे में शक में घेरे में मूल्यांकन केंद्र के कर्मचारी हैं।

दो मेधावी छात्रों की तीन कॉपी नहीं मिली :

गणित की दो और सामाजिक विज्ञान की एक कॉपी नहीं मिली है। अब बोर्ड के सामने सवाल यह है कि इन मेधावी छात्रों का वेरिफिकेशन कैसे होगा। बिहार बोर्ड अब इन मेधावी छात्रों की शेष कॉपियों के आधार पर ही लिखावट आदि का वेरिफिकेशन कर रहा है।

67 कर्मचारियों की टीम भेजी गई थी केंद्र पर :

बिहार बोर्ड मैट्रिक रिजल्ट के मेधा सूची में शामिल मेधावी छात्रों के कॉपी की दुबारा जांच की जानी थी। इसको ले कर बोर्ड ने 67 कर्मचारियों की टीम बनाई गई थी। इन सभी कर्मचारियों को 38 जिलों में बनाये गए मूल्यांकन केंद्र पर 15 जून को भेजा गया था। जिन जिलों में अधिक मूल्यांकन केंद्र था वहां पर दो से तीन कर्मचारी गए थे। ज्ञात हो कि मेधा सूची में शामिल टॉप 25 मेधावी छात्रों की कॉपी की जांच के लिए बोर्ड में एक्सपर्ट की टीम विषय वार बनाए गए थे। एक्सपर्ट ने 16 जून को पहले कॉपी की दुबारा जांच की। 2016 में टॉपर घोटाला और 2017 में गणेश कुमार जैसे फर्जी छात्रों के कारण बोर्ड ने वेरिफिकेशन का काम शुरू किया है।

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