दलित की हत्या में तीन लोगों को उम्र कैद की सजा

यशपाल सिंह

मऊ अनुसूचित जाति जनजाति की विशेष अदालत अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आदिल आफताब ने दलित व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोषी करार तीनों अरोपियो को अदालत ने सजा के प्रश्न पर सुनवाई कर आरोपी धाराओं में अलग अलग दंड निर्धारित कर फैसला सुनाया। मामला मधुबन थाना क्षेत्र के तिघरा का है।

मामले के अनुसार वादी मुकदमा अनिल कुमार गोंड की तहरीर पर 14 जून 2004 को रिपोर्ट दर्ज हुई । वादी का कथन था कि उसके बाबा इंद्रदेव गौड़ भैंस चराने के लिए गए थे।  उसी दौरान मुकदमेबाजी की रंजिश को लेकर तिघरा नई बस्ती गांव निवासी  वीर बहादुर  व  रामसिंगार और राम जतन  ने उसके बाबा इंद्रदेव को लाठी डंडे से मारपीट कर गंभीर चोट पहुंचाया। इलाज के लिए ले जाते समय  बाबा इंद्रदेव की रास्ते में मौत हो गई।  पुलिस ने मामला दर्ज कर बाद विवेचना  आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया । अभियोजन की तरफ से पैरवी करते हुए बरिष्ठ अभियोजन अधिकारी छेदीलाल गुप्ता ने अपना पक्ष रखा।  बचाव पक्ष से कहा गया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है।

एडीजे ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने तथा पत्रावली का सूक्ष्मता से अवलोकन करने के बाद वीरबहादुर यादव, राम सिंगार यादव और राम जतन यादव को दलित व्यक्ति की अनिच्छित हत्या ,धमकी और गाली देने व एस सी एस टी मामले में दोषी पाया । न्यायालय ने अनिच्छुक हत्या के अपराध में प्रत्येक आरोपी को आजीवन कारावास व 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना न देने पर प्रत्येक को 6-6 माह कारावास भुगतने का निर्णय दिया। एससी एसटी मामले में प्रत्येक आरोपी को अजीवन कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। गाली देने के अपराध में एक वर्ष कारावास व एक-एक हजार जुर्माना व जान मारने की धमकी देने के आरोप में प्रत्येक को दो वर्ष कारावास व बीस हजार रुपया जुर्माना लगाया गया

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