यूरोपीय संघ ने म्यामांर की सेना के मेजर जनरल पर लगया प्रतिबंध
आफताब फारुकी
यूरोपीय संघ ने म्यांमार की सेना द्वारा इस देश के रोहिंग्या मुसलमानों पर किए गए अत्याचारों के ख़िलाफ़ कड़ा रुख अपनाया है। यूरोपीय संघ ने म्यांमार की सेना के मेजर जनरल मोआंग मोआंग सोए और उनके 7 अन्य सहयोगी सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय संघ ने रोहिंग्या मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचारों और 7 लाख रोहिंग्या को बांग्लादेश में भागकर शरण लेने पर मजबूर करने वाली म्यांमार की सेना और उसके अधिकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही करते हुए इस देश के मेजर जनलर मोआंग मोआंग सोए और 7 अन्य सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
यूरोपी संघ ने एक बयान जारी करके कहा है कि म्यांमार के जिस जनरल और जिन सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया गया है वे सभी रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार और उनपर हो रहे अत्याचारों में शामिल पाए गए हैं। यूरोपी संघ ने कहा है कि रख़ाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के हुए जनसंहार में जनरल सोए और उनके अधीनस्थ सैन्य अधिकारियों की मुख्य भूमिका रही है।
यूरोपीय संघ की घोषणा के अनुसार, मेजर जनरल मोआंग-मोआंग सोए सहित म्यांमार के उन सभी सैन्य अधिकारियों ने मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन किया है। यूरोपीय संघ ने इन सभी की विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लगाते हुए इनकी बैंक संपत्तियों को ज़ब्त करने का भी एलान किया है। साथ ही यूरोपीय संघ ने म्यांमार सेना के साथ सभी प्रकार के सैन्य सहयोग को समाप्त किए जाने की भी घोषणा की है।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 26 मार्च 2018 को अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा था कि म्यांमार के रख़ाइन प्रांत में इस देश की सेना ने “ग़रीबी हटाओ आतंकवाद मिटाओ” नामक अभियान के नाम पर रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार किया है।
ज्ञात रहे कि अगस्त 2017 में म्यांमार के रख़ाइन प्रांत में सेना और इस देश के कट्टरपंथी बौद्धों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के किए गए जनसंहार के बाद लाखों की संख्या में पीड़ित रोहिंग्या मुसलमान को अपनी जान बचाने के उद्देश्य से अपना देश छोड़कर पड़ोसी देशों विशेषकर बांग्लादेश में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा था।