बिहार – पुलिस द्वारा नाबालिग सब्जी विक्रेता से रंगदारी मामले में पटना आईजी ने किया बड़ी कार्रवाई

अनिल कुमार

पटना बिहार.  विगत 19 मार्च को नाबालिग सब्जी विक्रेता पंकज से पटना पुलिस ने रंगदारी के एवज में सब्जी नहीं देने पर उसके घर से जोर-जबरदस्ती से उठाकर पीड़ित पंकज के ऊपर लूट के साजिश रचने एवं डकैती का झूठा केस दर्ज कर और उसका अपराधिक इतिहास बताकर उसे जेल भेज दिया था।

जेल भेजे गए पंकज पर अगमकुंआ थाना कांड संख्या – 191/18,192/18 एवं बाईपास थाना कांड संख्या – 87/18 दर्ज है। जो कि यह सारे केस पटना पुलिस द्वारा पंकज पर फर्जी रूप से दर्ज किए गए हैं। इस केस के अनुसंधानकर्ताओं ने इतनी जल्दबाजी दिखाई कि अंतिम प्रतिवेदन के अनुमति पुलिस अधीक्षक से लिए बगैर चार्जशीट दाखिल कर दिया।

यह मामला एक दैनिक समाचार पत्र ने प्रमुखता से उछाला था। जिस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पटना प्रक्षेत्र के आईजी एन.एच. खान को जांच करने का आदेश दिया था। इस जांच में आईजी ने तीन सदस्यीय टीम गठित की थी। टीम में पटना एसएसपी मनु महाराज, डीआईजी राजेश कुमार एवं स्वयं आईजी एन.एच.खान शामिल थे।

जांच पड़ताल में प्रथम दृष्टया में ही पटना पुलिस को दोषी ठहराया गया। जांच पूरी होते ही आईजी एन.एच.खान ने अगमकुंआ थाना के सभी पुलिसकर्मियों को लाईन हाजिर तथा अगमकुंआ थाना और बाईपास थाना के थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया है।

इस केस में तय सीमा समय पर सुपरविजन नहीं करने के दोषी तत्कालीन एएसपी हरिमोहन शुक्ला से भी पूछताछ किया गया है और गृह मंत्रालय को श्री शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। इस केस में पटना पुलिस की बदनामी पूरे देश में हो रही है और न जाने ऐसे कितने नाबालिग और बालिग र्निदोष गरीब लोग पटना पुलिस के शिकंजे में फंसे हुए होंगे।

पीड़ित नाबालिग सब्जी विक्रेता पंकज मूल रूप से पटना जिला के पालीगंज थाना क्षेत्र के मखमीलपुर गांव का रहने वाला है और रोजी-रोटी के तलाश में पटना में सब्जी बेचता है। पंकज को बेउर जेल से नाबालिग होने के कारण रिमांड होम में शिफ्ट किया जाएगा।

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