वाराणसी – फिर गिर पड़ी निमार्णाधीन पुल की शटरिंग
ईदुल अमीन/अनुपम राज
वाराणसी। अभी एक पुल हादसे को शहर भूल ही नही पाया था कि आज फिर एक निर्माणाधीन पुल की शटरिंग गिरने से शहर सिहर उठा। घटना आज शुक्रवार तड़के की है जब शिवपुर बाईपास मार्ग तरना चमाव गेट के पास निर्माणाधीन फ्लाईओवर का शटरिंग अचानक टूटने से एक बड़ा हादसा टल गया। वही इस घटना के बाद क्षेत्र में हड़कंप मचने के साथ ही लोग कार्यदायी संस्था के कार्यशैली पर प्रश्न खड़े करने लगे है। सूचना मिलते ही सरकारी महकमे में हड़कम्प मच गया।
इसको एक संयोग अच्छा था ही कहा जायेगा कि पिछली घटनाओं से सबक लेकर निर्माणाधीन पुल के आसपास आवागमन नही था अन्यथा बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि इस घटना में जानमाल का नुकसान नहीं पहुंचा है। जहा घटना हुई है वह घनी आबादी वाला क्षेत्र होने के साथ ही यह मार्ग शहर को बाबतपुर हवाईअड्डा से जोड़ता है जिसके कारण इस मार्ग पर चौबीसों घन्टे यातायात का दबाब रहता है। कैंट फ्लाईओवर हादसे के 16 वें दिन हुए इस हादसे की जानकारी पाते ही हड़कम्प मच गया। हादसे के बाद कार्यस्थल पर फ्लाईओवर कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही को लेकर भी लोग सवाल उठाने लगे हैं। इस फ्लाईओवर का निर्माण भी उत्तर प्रदेश ब्रिज कारपोरेशन कर रहा है।
तरना चमाव गेट से बाबतपुर एयरपोर्ट तक फ्लाईओवर बन रहा है। पुल पर ढ़लाई का काम चल रहा है। आज भोर में ढ़लाई के लिए फ्लाई ओवर में सहारे के लिए लगाई गई शटरिंग अचानक गिर गई। चूकि शटरिंग फ्लाईओवर के किनारे में लगे छड़ों से बंधा था। इसलिए शटरिंग लटका रह गया। हादसा का कारण अफसरों की लापरवाही माना जा रहा है। बताते चले बीते 15 मई की शाम लहरतारा कैंट मार्ग पर निर्माणाधीन फ्लाईओवर का दो विशाल बीम सड़क पर गिर गया था। जिसकी चपेट में आकर 15 लोगों की मौत हो गई और 18 लोग जख्मी हो गये थें।
डीएम ने दिया जॉच के आदेश
वाराणसी – बाबतपुर 4 लेन सड़क चौड़ीकरण में निर्माणाधीन फ्लाईओवर के निर्माण कार्य के दौरान तरना के पास कंक्रीट सेटेरिंग प्लेट खुलने की घटना को जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने गम्भीरता से लेते हुए मजिस्ट्रीरियल जॉच का आदेश दिया है। उन्होने उक्त घटना की जॉच हेतु अपर जिलाधिकारी नगर वीरेन्द्र पाण्डेय को जॉच अधिकारी नामित करते हुए शीघ्र जॉच रिर्पोट उपलब्ध कराये जाने का निर्देश दिया है।
फिर एक जांच साहब
अब बड़ा सवाल ये पैदा होता है कि जांच और जांच के आगे भी कोई कार्यवाही होगी। दो चार इंजीनियरों पर गाज गिर जाने के बाद फिर वही रफ्तार कब तक विकास के नाम की गिनती बढ़ाने के लिये आम जनता के जान को सांसत में डाल दिया जाता रहेगा। आज सही मायनों में डर लगता है शहर में चलने से। जिसको विकास का नाम देकर हमारे नेता हमको पाठ पढ़ाया करते है आज वही हमारे लिये जान का अज़ाब बना हुआ है। नज़रे उठा कर देखे तो पूरा शहर खोद के धर दिया गया है। पहले आईपीडीएस अब कुछ और। पहले से ही आईपीडीएस ने सडको पर मौत का सामान बिछा रखा हुआ है कही एक फिट तो कही 6 इंच पर ही लाइन बिछाई गई है। कार्यदायी संस्था अपना काम करके पेमेंट लेकर चलती बनी है। मगर जनता की जान सांसत में फसी हुई है।
इसी प्रकार की एक जांच तो 16 दिनों पहले भी शुरू हुई थी। नतीजा क्या निकल कर सामने है। हर विभाग अपने आरोप दूसरे पर लगा रहा है। जानो की किसको फिक्र है। आज तक शासन प्रशासन उस नाम तक को नही खोल पाया जो उस कार्य को अंजाम देने वाली संस्था है। सोशल मीडिया पर सरकार और उस जांच की रोज़ ही लानत मलानत हो रही है मगर किसके कान पर जु रेंगती है। अब एक जांच और। देखे जांच कब पृरी होती है। इंतज़ार जारी है