चुनौतियां बढ़ाती है बाबा के प्रति भक्ति
कनिष्क गुप्ता
इलाहाबाद : जिसके सिर पर स्वयं देवाधिदेव महादेव का हाथ हो, उसका कोई आतंकवादी क्या बिगाड़ सकता है? मुझे न कभी आतंकियों का भय था, न दुर्गम मार्ग से होने वाली दिक्कतों का एहसास हुआ। मन में सिर्फ बर्फानी बाबा के दर्शन की धुन रहती है, उसके बाद सारी दिक्कत अपने आप दूर हो जाती है। भक्ति का यह अनूठा भाव है व्यवसायी बब्लू गुप्ता का। बब्लू परिवार के साथ बर्फानी बाबा का दर्शन करने गए थे। 47 वर्षीय बब्लू की यह 19वीं यात्रा थी।
42 लोगों के जत्थे के साथ बब्लू 25 जून को बर्फानी बाबा का दर्शन करने गए थे। वहां से 11 जुलाई को वापस लौटे। वह बताते हैं कि जुलाई की शुरुआत में श्रीनगर में काफी वर्षा हुई। तीन-चार जुलाई को भूस्खलन होने से पहलगांव की ओर जाने वाला लोहे का पुल टूट गया। लेकिन सेना ने उसे जल्द दुरुस्त करा दिया। बकौल बब्लू जब वह श्रीनगर पहुंचे तो एक आतंकी के मरने से कर्फ्यू लगा था, लेकिन सेना की मुस्तैदी के चलते उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई। बब्लू की पत्नी मंजू गुप्ता अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि आतंकी घटनाओं की जानकारी उन्हें मीडिया के जरिए मिलती है। लेकिन उससे बाबा का दर्शन न करें ऐसा विचार मन में नहीं आता। अगर दर्शन करने न जाते तो मन में मलाल जरूर रहता। यात्रा का हिस्सा रहे विवेक गुप्त बताते हैं कि सेना हमारे लिए कड़ी मेहनत करती है, जिससे उन्हें किसी से भय नहीं लगता। बब्लू की बेटी वर्तिका व मुस्कान कहती हैं कि बर्फानी बाबा का दर्शन का सौभाग्य बिरले लोगों को मिलता है। रही बात कठिनाई की तो यह हमारी परीक्षा है। अगर हम उससे डर गए तो भक्त कैसे? कुछ ऐसा ही भाव यात्रा का हिस्सा रहे प्रखर का है। कहते हैं कि हमें अपनी भक्ति व भोले बाबा पर विश्वास है। वही विश्वास हमें दुर्गम यात्रा की ओर खींच ले जाता है। हम इतना जानते हैं कि भोले बाबा कभी हमारे साथ बुरा नहीं होने देंगे।