भाजपा अध्यक्ष के अखाड़ा परिषद् जाने पर उठे विरोध के स्वर
मो आफताब फ़ारूक़ी
इलाहाबाद। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के प्रयाग आगमन व अखाड़ा परिषद् अध्यक्ष के यहां जाने पर भाजपा कार्यकर्ताओं एवं साधु संतों ने विरोध दर्ज कराया। इनका कहना है कि नरेन्द्र गिरी सपा के एजेन्ट हैं और ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को वहां नहीं जाना चाहिए था।
जगद्गुरू वासुदेवानन्द सरस्वती के शिष्य ब्रह्मचारी आत्मानन्द महाराज ने व्यक्त करते हुए कहा कि आज भाजपा के रवैये से उनके पुराने कार्यकर्ता व्यथित हैं और अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सोचा था कि हमारी सरकार बनेगी, शासन-प्रशासन उनकी समस्याओं को सुनेगा, लेकिन ठीक उसके विपरीत हुआ। उन्होंने आगे कहा कि कुछ चाटुकार नेता भाजपा की परिक्रमा करते रहे और आज वह भाजपा में मलाई खा रहे हैं। कहा कि जिन्होंने कभी संगम तीरे नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री न बनने का अनुष्ठान किया, लेकिन चाटुकार नेताओं के कहने पर अमित शाह को ले जाया गया और श्री शाह को यह ज्ञात नहीं कि वह सपा का एजेन्ट है। उन्होंने आगे कहा कि जो सन्त रामजन्म भूमि के पुरोधा माने जाते हैं, स्व. सिंहल के जाने के बाद उन संतों का हाल पूंछने वाला कोई नहीं है। जिन्होंने रामजन्म भूमि के समय सरकार के दमनकारी कार्यों को सहन किया, आज वह अज्ञात की भांति एकांत में पड़े हुए हैं। जिन्हें आंदोलन का ज्ञान नहीं था, सन्यासी नहीं थे, जिनका अस्तित्व नहीं था, आज उनके यहां भाजपा के चाटुकार नेताओं द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जाने का कार्य किया, जो सर्वथा अनुचित था।
गौरतलब है कि शुक्रवार को अमित शाह के आने पर भाजपा के पूर्व प्रवक्ता देवेन्द्र नाथ मिश्र अपना विरोध जताते हुए कहा था कि नरेन्द्र गिरी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उनके यहां हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को नहीं आना चाहिए। इससे पूर्व सपा सरकार में नरेन्द्र गिरी ने आजम खां को गले लगाया था। इसके अतिरिक्त आचार्य कुशमुनि सहित अन्य संतों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया है।