मांगें न मानने पर होगा कुम्भ मेला प्रशासन का घेराव: कुशमुनि

मो आफताब फ़ारूक़ी

इलाहाबाद। कुम्भ मेला के लिए जिस प्रकार अखाड़ों को धन दिया गया है उसी प्रकार प्रयाग के संतों, शंकराचार्य एवं तीर्थ पुरोहितों को भी धन दिया जाय। क्योंकि शंकराचार्य हमारे सनातन धर्म में सर्वोच्च स्थान रखते हैं और तीर्थ पुरोहितों के यहां तीर्थयात्री रूकते हैं। यदि हमारी मांगे नहीं मानी गयी तो कुम्भ मेला प्रशासन का घेराव किया जायेगा।
उक्त विचार आचार्य कुशमुनि, राष्ट्रीय महामंत्री, अखिल भारतीय संयुक्त धर्माचार्य मंच ने व्यक्त करते हुए कहा कि जो लोग अखाड़ों को धर्म का ठेकेदार मानते हैं, उनका वहम कुम्भ मेला के मौनी अमावस्या स्नान के पहले खत्म हो जायेगा। कहा कि मेला तीर्थ पुरोहितों एवं तीर्थ यात्रियों से होता है जो निरंतर एक माह रहते हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों को धन इसलिए मिलना चाहिए कि वे अपने जीर्ण-शीर्ण मकान बनवा लें, क्योंकि आने वाले तीर्थयात्री उन्हीं के यहां रूकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कुम्भ मेला में भूमि आवंटन की शुरूआत दण्डी सन्यासियों से होनी चाहिए, क्योंकि माघ मेला में यही परंपरा है और कुंभ भी माघ मेला में समाहित है। दण्डी सन्यासी एवं अन्य सम्प्रदायों व संस्थाओं को वही जमीन व सुविधाएं दी जाये जो माघ मेला में प्रत्येक वर्ष मिलती है।
उन्होंने कहा कि अखाड़ों को कुंभ मेले के बीच नहीं बल्कि किनारे बसाया जाय क्योंकि अखाड़े बसंत पंचमी पर स्नान कर भाग जाते हैं। इसके अलावा कुंभ मेला में महिलाओं को नागा न बनाया जाय और पहले से बनी महिला नागाओं को जुलूस में नंगा न चलाया जाय। यह मातृ शक्ति व नारी शक्ति का अपमान है। घर से भागे गुमराह नाबालिग बच्चों को सन्यासी न बनाया जाय। यदि कोई नाबालिग सन्यास लेना चाहता है तो पहले उसके माता-पिता की सहमति ली जाय। प्रयाग की गंगा में गिरने वाले सभी नालों को बंद किया जाय। अंत में कहा कि प्रशासन इन मांगों पर विचार कर ले, अन्यथा आंदोलन झेलने के लिए तैयार रहे।

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