मोतीपुर ईको टूरिज़्म परिसर में आयोजित हुआ ग्लोबल टाईगर डे
सुदेश कुमार
बहराइच 29 जुलाई। ग्लोबल टाईगर डे के अवसर पर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग व डब्लूडब्लूएफ (विश्व प्रकृति निधि) के संयुक्त तत्वावधान में मोतीपुर ईको टूरिज़्म परिसर में प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट ज्ञान प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डिप्टी कमान्डेन्ट 59वीं बटालियन एसएसबी अशोक कुमार ओला, कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के वन्य जीव प्रतिपालक गिरजापुरी यशवन्त, उप सम्भागीय अधिकारी मोतीपुर ए.के. पाण्डेय, एसएसबी इंस्पेक्टर चितलहवा ज़मान खान, वन क्षेत्राधिकारी मोतीपुर खुर्शीद आलम, ककरहा के महेन्द्र कुमार मौर्य, धर्मापुर के रमा शंकर सिंह, निशानगाढ़ा के दया शंकर सिंह, डब्लूडब्लूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन, कतर्नियाघाट फ्रेन्ड्स क्लब के भगवानदास लखमानी, एसओएस टाईगर के फैज़ मोहम्मद खान, विभिन्न ईको विकास समितियों के पदाधिकारी, वन्यजीव प्रभाग के सीमावर्ती ग्रामों के ग्राम प्रधान, वन कर्मी तथा बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं व अन्य लोग मौजूद रहे।
डब्लूडब्लूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने गोष्ठी के दौरान पावर प्वाईन्ट परज़ेन्टेशन के माध्यम से वनों के संरक्षण में बाघों के महत्व, बाघों के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरों, बाघ्ज्ञों के विरूद्ध होने वाले संगठित अपराधों, मानव वन्य जीव संघर्ष, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बाघों के अंगों के अवैध व्यापार तथा भारत नेपाल सीमा पर बाघों के संरक्षण में आने वाली दुशवारियों इत्यादि पर विस्तार से प्रकाश डाला। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए श्री हसन ने बताया कि किसी भी जंगल में बाघों की उपस्थिति इस बात का परिचायक है कि जंगल पूर्णतया जीवित है। किसी भी जंगल में बाघों की मौजूदगी इस बात का पक्का प्रमाण है कि यह वन मात्र बाघों के लिए ही अपितु सभी वन्य जीवों के लिए अच्छा पर्यावास है।
हसन ने कहा कि मात्र सरकारी व गैर संरकारी संस्थाओं के प्रयास मात्र से बाघों का संरक्षण अगर नामुमकिन है। देश के राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के लिए हम सभी को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण के लिए ज़रूरी है कि सभी जिम्मेदार एजेन्सियाॅ प्रत्येक स्तर पर समन्वय के साथ कार्य करते हुए आमजन को भी प्रत्येक स्तर पर प्रेरित किया जाय। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण के लिए आवश्यक है कि हम सभी को युवाओं को उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराना होगा ताकि बाघों सहित हमारे सभी वन एवं वन्य जीव सुरक्षित रह सकें।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट जीपी सिंह ने कहा कि काफी लम्बे अरसे से संचालित किये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम का परिणाम है कि विगत कई वर्षो से वन प्रभाग के अन्दर टाईगर के अवैध शिकार की कोई घटना प्रकाश में नहीं आयी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रवर्तन कार्य में लगी हुई सभी एजेन्सियों के साथ-साथ स्थानीय समुदाय भी बधाई का पात्र हैं। श्री सिंह ने कहा कि स्थानीय समुदाय के सहयोग के बिना संरक्षण के प्रयासों का आशातीत परिणाम नहीं प्राप्त होंगे। श्री सिंह ने बताया कि वन एवं वल्य जीवों विशेषकर बाघों के संरक्षण के लिए वन प्रभाग अन्तर्गत सभी एजेन्सियों द्वारा मानसून सत्र में नियमित रूप से सघन गश्त की जा रही है। श्री सिंह ने कहा कि वन्य प्रभाग अन्तर्गत कार्यरत सभी अधिकारी व कर्मचारी वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। अपने सम्बोधन को विराम देते हुए श्री सिंह ने सभी मौजूद लोगों को ग्लोबल टाईगर डे की बधाई दी।
डिप्टी कमान्डेन्ट एसएसबी अशोक कुमार ओला ने कहा कि गोष्ठी के माध्यम से प्राप्त होने वाली जानकारी से एसएसबी के जवान और बेहतर ढंग से बाघों के संरक्षण का प्रयास कर सकेंगे। उन्होंने गोष्ठी को अत्यन्त उपयोगी बताते हुए आश्वस्त किया कि एसएसबी अन्य प्रवर्तन एजेन्सियों के साथ कांधे से कांधा मिलाकर वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रयास करेगी। चाटर्ड एकाउन्टेन्ट विवेक गोयल ने मानव वन्य जीव संघर्ष के दौरान घायल एवं मृतक व्यक्तियों के हित में सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की। वन्य जीव प्रतिपालक गिरजापुरी यशवन्त ने ग्लोबल टाईगर डे के आयोजन के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की जबकि उप सम्भागीय अधिकारी मोतीपुर ए.के. पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। गोष्ठी के दौरान कतर्नियाघाट फ्रेन्डस क्लब की ओर से वन कर्मियों को टार्च का वितरण किया गया।