आज लगने वाले सूर्य ग्रहण का नहीं होगा भारत में अवलोकन : डा गणेश पाठक

मु० अहमद हुसैन / जमाल

बलिया। भौगोलिक एवं भौतिक विज्ञान के तथ्यों के अनुसार पृथ्वी, सूर्य का चक्कर लगाती है। जबकि चन्द्रमा, पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस भ्रमण के दौरान जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य में चन्द्रमा की स्थिति आ जाती है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं आ पाता है। इसी को सूर्य ग्रहण की स्थिति कहा जाता है। पृथ्वी के जितने भू-भाग पर सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ता है, सिर्फ उतने ही भाग पर सूर्य ग्रहण लगता है। यही कारण है कि सूर्य ग्रहण आंशिक अथवा पूर्ण लगता है।

यह जानकारी देते हुए भूगोलविद व अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर पीजी कालेज दुबे छपरा के प्राचार्य ने बताया कि 13 जुलाई, 2018 को लगने वाला सूर्यग्रहण आंशिक (खग्रास) लगने वाला है, जो भारत में नहीं दिखाई देगा और न ही इसका प्रभाव भारत के क्षेत्र में पड़ेगा। इसलिए भारत के लोगों के लिए चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है।  खगोल विज्ञान के अनुसार 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण एवं 29 चंद्रग्रहण लगते हैं। एक वर्ष में 5 सूर्य ग्रहण एवं 2 चंद्र ग्रहण लग सकते हैं। किन्तु एक वर्ष में 2 सूर्य ग्रहण तो अवश्य ही लगते हैं। सूर्य ग्रहण अमावश्या को ही लगता है।

डॉ पाठक ने बताया कि 13 जुलाई को लगने वाला सूर्य ग्रहण प्रातः 7.19 से 8.35 बजे तक लगेगा एवं मोक्ष 9.44 पर होगा। विश्व के जिन क्षेत्रों में यह सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उन क्षेत्रों में इसका हानिकारक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। खास तौर पर मानसिक एवं स्वास्थ्य स्तर पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय वातावरण में रज एवं तम गुणों में वृद्धि हो जाती है, जिसका मानव पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसका विश्व स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कर्क एवं मिथुन राशि वालों पर यह सूर्य ग्रहण  विशेष प्रभाव डालेगा।

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