नदी में बढ़ रहे जल स्तर के कारण कटान जारी
मु० अहमद हुसैन / जमाल / नुरूल होदा
बाढ़ विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर के बिगड़े बोल,
कहा- गांव को बचाएंगे, खेत नहीं
सिकन्दरपुर( बलिया)। घाघरा के तटवर्ती गांव ककरघटा खास व नवका गावं आदि ग्राम में आज भी पुरवा हवा के दबाव व नदी में बढ़ रहे जल स्तर के कारण कटान जारी है। बाढ़ विभाग गांव बचाने की जुगत कर रहा है। लेकिन असफल है। आलम यह है कि विभागीय हुक्मरान उपजाऊ खेत बचाने के मामले में उनकी ओर से कोई प्रयास नहीं किए जा रहा हैं। जिससे इलाकाई लोगों में आक्रोश व्याप्त हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ विभाग के अधिकारी व कर्मचारी कटान रोधी कार्य के नाम घपलेबाजी करने में तल्लीन है यही कारण है कि मौके पर कटान रोकने के लिए प्रभावी कार्य नहीं कराया जा रहा है जिससे घाघरा की ऊफनाती लहरें दिन-ब-दिन रौद्र रूप धारण कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों ने बताया कि मानक के अनुसार लायलान की जली, जियो बैग व लोहे की जाली के कैरेट में भर कर बोरिया नदी के किनारे डाली जा चुकी है अब बाँस के चोगा में ही डाला जायेगा। यही कारण है कि घाघरा नदी अपना रूख फिर गांव की तरफ करके प्रधानमंत्री सड़क योजना से वनी सडक (बंधा) से सटकर बह रही है। अफसरों ने बताया कि उपजाऊ खेत बचाने के लिए कोई योजना नहीं है।
सैकड़ों ग्रामीणों की बची खुची खेती योग्य भूमि घाघरा में समा रही हैं। आंखों के सामने जीवन यापन का सहारा खेत को नदी में जाते व भोजन के लिए आने वाली समस्या को देख परेशान है। ग्रामीणों ने कटान रोकने के कार्य में लगे अधिकारियों को सलाह देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। नतीजा बाढ़ विभाग द्वारा कराये जा रहे कार्य के बावजूद खेत का कटान नहीं रूक पा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि ककरघट्टा ग्राम से लगे उत्तरी दिशा में काम किया जाए तो काफी हद तक खेत व ग्राम की ओर बढ़ रहा कटान रुक सकता है, लेकिन इस कार्य में लगे अधिकारी व ठेकेदार अपनी जेब गरम करने में लगे हैं। ग्रामीणों की बातों को नजर अंदाज कर रहे हैं। सूत्रों के माने तो बाढ विभाग के एक जेई का तटवर्ती गांव को कटान से बचाने के लिए लगभग तीन साल से लगातार कैंप किये हुए हैं फिर भी गाव को कटने से बचाने में असफल है।
इस संबंध में बाढ़ विभाग के एक्शीयन वीरेंद्र सिंह से पूछे जाने पर बतायें कि गाँव को सुरक्षित किया जा रहा है। कटान से बचाने के लिए लोहे और जियो बैग की जितनी जरूरत थी उसका उपयोग हो चुका है। अब बास का उपयोग किया जा रहा है। खेत का कटान नहीं बचाया जा सकता है। हमारी प्राथमिकता बांध व गांव को बचाना है। अब तक वहां कितने पैसे खर्च हुए हैं। इसकी जानकारी वहां कार्य करा रहा जेई बता देगाl