बाँदा में डाक्टर की लापरवाही से गई व्यक्ति की जान

जितेंद्र द्विवेदी

बांदा शहर एक बार फिर से हुआ शर्मसार
आज फिर भगवान का रूप कहे जाने वाले डॉक्टरों की भारी लापरवाही के चलते एक नवयुवक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा !! भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर ने फिर से यमराज का रूप लिया और आज दिनांक 28 जुलाई 2018 को बांदा शहर के इंदिरा नगर मोहल्ले में हड्डी रोग विशेषज्ञ कहे जाने वाले डॉक्टर गौड़् का अस्पताल है !! इस अस्पताल में पूरन रैदास पुत्र मलवा रैदास उम्र 37 वर्ष निवासी पहाड़ी चित्रकूट अपना इलाज कराने आया था परंतु गलत इलाज के चलते एवं डॉक्टर की घोर लापरवाही के कारण मौत हो गई !! पूरन रैदास जो कि एक नवयुवक था मोटरसाइकिल से गिर जाने पर उसका पैर टूट गया था!! हड्डी रोग विशेषज्ञ ने ऑपरेशन की सलाह दी व 28 जुलाई को दोपहर 12:00 बजे ऑपरेशन शुरू कर दिया लगभग 1 घंटे के बाद मरीज को बाहर निकाला गया! मरीज के पास तीमारदारों को नहीं आने दिया गया और यह कहा गया कि मरीज की हालत ठीक नहीं है इसको आप कहीं बाहर ले जाइए जब परिजनों ने देखा तो वह मरीज मर चुका था परिजनों ने बवाल काटा तो डॉक्टर ने उसको उनको पैसे का लालच दिया जब बात नहीं बनी तो परिजनों ने बवाल काटा एवं जब बवाल होना शुरू हुआ तो डॉक्टर पूरे स्टाफ के साथ मौके से फरार हो गया! यहां पर यह बात बताना अत्यंत जरूरी है कि ज्यादातर अस्पतालों में जहां पर ऑपरेशन होते हैं बेहोशी के डॉक्टर मौके पर नहीं रहते जो कि सही से बेहोशी कर सकें और मरीज का सकुशल ऑपरेशन किया जा सके! सूचना पुलिस को लगते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया !
अब सवाल यह उठता है आखिर क्यों होती हैं इस तरह की जानलेवा घटनाएं
आखिर क्यों करते हैं डॉक्टर इस तरह की घोर लापरवाही
स्वास्थ्य विभाग क्यों नहीं रोक पाता है ऐसी मौतों को
क्यों नहीं होती ऐसी घटनाओं पर कोई ठोस कार्यवाही
डॉक्टर क्यों यमराज का रूप लेने को तैयार हो जाते हैं
इन तमाम सवालों के जवाब की तलाश करना आवश्यक है सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यहां पर यह है कि अधिकतर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर बेहोशी के डॉक्टर को अपने साथ नहीं रखते हैं बल्कि खुद ही मरीजों को बेहोशी देते हैं और खुद ही ऑपरेशन करते हैं जबकि बेहोशी देने वाला डॉक्टर अलग होता है और ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर अलग होता है! परंतु स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों का कुछ बिगाड़ नहीं पाता इन के विरुद्ध किसी तरह की कोई कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग नहीं करता है जिसके चलते इस तरह से आम आदमी को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता है!
शहर में इस तरह के अस्पतालों का मकड़जाल फैला हुआ है जहां पर तमाम अनियमितताओं के बावजूद अस्पताल धड़ल्ले से चल रहे हैं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इन तमाम अस्पतालों पर किसी तरह की कोई कार्यवाही करने के लिए सक्षम नहीं है ना ही प्रयास करते हैं ! नतीजा ऐसी घटनाएं बारंबार बांदा में होती रहती हैं एवं यह बड़ी शर्मनाक घटना है! ऐसे डॉक्टरों के विरुद्ध क्यों ना कड़ी कार्रवाई की जाए जिससे ऐसी घटनाएं रुकें और लोगों को अपनी जान न गंवानी पढ़े !!

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