क्षेत्र का भविष्य हेलसिंकी में नही बल्कि तेहरान में तय होगा
आफताब फारुकी
अरबी समाचारपत्र रायुल यौम के संपादक ने फ़िनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में हुई अमरीका व रूस के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक को परिणामहीन बताते हुए लिखा है कि क्षेत्र के भविष्य का निर्धारण 23 जुलाई को तेहरान में सीरिया के बारे में ईरान, रूस व तुर्की के अधिकारियों की बैठक में तै होगा।
अब्दुल बारी अतवान ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सीरिया की सेना ने पिछले महीनों में अनेक क्षेत्रों को स्वतंत्र कराया है और अब अमरीका, सीरिया के सरकार विरोधी सशस्त्र लोगों का समर्थन नहीं कर रहा है बल्कि वह इस देश से अपने सैनिकों को बाहर निकालने की कोशिश में है। उधर यूक्रेन व क्राइमिया के संबंध में रूस की स्थिति अधिक मज़बूत हो चुकी है और उसने बिना किसी अप्रिय घटना के फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप का आयोजन कराके अपना लोहा मनवा लिया है। यह एेसी स्थिति में है कि ब्रिटेन और फ़िनलैंड की यात्रा पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को भारी विरोध का सामना करना पड़ा और लोगों ने उनकी बचकाना नीतियों की आलोचना की। नैटो की बैठक में अमरीका व उसके यूरोपीय घटकों के बीच स्पष्ट मतभेद दिखाई दिया जिससे पता चलता है कि अब यूरोप को वाॅशिंग्टन पर भरोसा नहीं रहा है।
रायुल यौम के संपादक का कहना है कि सीरिया के मामले में पुतीन की मज़बूत पोज़ीशन के मद्दे नज़र एेसा प्रतीत होता है कि अमरीका व इस्राईल की मांगें पूरी नहीं हो पाएंगी और अमरीकी सैनिकों को सीरिया व इराक़ से बिना कोई विशिष्टता लिए ही बाहर निकलना पड़ेगा क्योंकि शक्ति का संतुलन वाॅशिंग्टन के हित में नहीं है। अतवान ने लिखा है कि 23 जुलाई को तेहरान में होने वाली बैठक के मुक़ाबले में हेलसिंकी बैठक की कोई अहमियत नहीं है क्योंकि तेहरान बैठक में अमरीका की उपस्थिति के बिना मध्यपूर्व का नया नक़शा तैयार किया जाएगा। चार अप्रैल को ईरान, रूस और तुर्की की बैठक अन्कारा में आयोजित हुई थी और उसमें इन तीनों देशों ने सीरिया की अखंडता की रक्षा, हर प्रकार के अलगाववाद के विरोध और दाइश, अलक़ाएदा और नुस्रा फ़्रंट जैसे आतंकी गुटों की समाप्ति पर बल दिया था।