मुआवजे की मांग को लेकर किसानो का प्रदर्शन

शिवशाक्ति सैनी

हमीरपुर. यूपी के हमीरपुर जिले के लिए शासन द्वारा भूमि अधिग्रहण करने पर उचित मुआवजा न मिलने से नाराज सैकड़ो किसान पिछले 20 दिनों से जिला कलेक्ट्रेट प्रांगन में अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन शुरू किये है. आज इस क्रम में किसानों के धरना प्रदर्शन को रोकने के लिए जिला प्रशासन और किसानों के बीच कई घंटे बातचीत हुई और प्रशासन द्वारा 10 दिन में किसानों की सारी समस्यों का हल करने के लिखित आश्वासन पर किसानो ने धरना समाप्त किया. इन किसानो का आरोप था कि सरकार ने चार गुना मुआवजा देने की घोषणा के बाद भी उन्हें उचित मुआवजा नही दिया और सारी जमीनों का मुआवजा एक ही कर दिया है चाहे वो बंजर जमीन हो या फिर अच्छी पैदावार,  इसी के चलते उन्हें अनिश्चित कालीन धरना करने को मजबूर होना पड़ा था.

ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2009 में अर्जुन सहायक परियोजना की शुरुआत महोबा जिले में की गई थी। इस परियोजना में 2150 हेक्टेयर जमीन नहर निर्माण के लिए अधिग्रहित की जानी थी। 550 हेक्टेयर जमीन आपसी समझौते के आधार पर ले ली गई जबकि 1600 हेक्टेयर जमीन नहर की खुदाई के लिए अधिग्रहीत की जानी थी जिसके चलते मुआवजा आड़े आ गया। किसानाें द्वारा उचित मुआवजे की मांग किए जाने से अर्जुन सहायक परियोजना का कार्य वर्ष 2010 से अधर में लटक गया। इससे 273 करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी परियोजना अधर में लटक गई थी। इस परियोजना से 14575 हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन की सिंचाई होगी। जिसमे 90 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार को व्यय करना है ।इस परियोजना में महोबा, बाँदा और हमीरपुर जिले के112 गाँव के सैकड़ो किसानो की जमीने अधिग्रहित की जानी है. जिसमे हमीरपुर जिले में दो दर्जन से अधिक गाँव के किसानो की जमीने नहरे बनाने के लिए अधिग्रहित की गयी. अब सरकार ने जमीन तो ले ली लेकिन उचित मुआवजा नही दिया. इसी के चलते उन्हें अनिश्चित कालीन धरना करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

बारिश में धसान नदी में होने वाले ओवर फ्लो पानी का सदुपयोग किए जाने की गरज से अर्र्जुन सहायक परियोजना बनाई गई जिसके तहत धसान नदी से कबरई तक 100 मीटर चौड़ी नहर का कार्य शुरू कराया गया। 550 हेक्टेयर जमीन में नहर तैयार कर दी गई लेकिन बाद में किसानाें के मुआवजे की मांग को लेकर निर्माण कार्य ठप हो गया। इतना ही नहीं झिर सहेवा के एक किसान राममिलन ने करीब डेढ़ साल पहले मुआवजे की मांग को लेकर आत्मदाह कर लिया था। मामला शासन स्तर तक पहुंच गया। सपा शासन में प्रति एकड़ भूमि पर 2.76 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का शासनादेश जारी कर दिया साथ ही सर्किल रेट अलग से दिया जाएगा।लेकीन अब सरकार अपनी मनमानी का मुआवजा देकर किसानों की जमीनों को जबरन अधिग्रहित कर रही है सारी जमीनों का एक ही रेट से पेमेंट दिया जा रहा है. चाहे वो जमीन बंजर हो , उपजाऊ हो या फिर सडक के किनारे होने के चलते उन्ही कीमत आसमान छू रही हो. इसी के चलते भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सैकड़ो किसानो ने जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट प्रांगन में अनिश्चित कालीन धरना शुरू किया था  !

वही हमीरपुर- महोबा जिलो के सैकड़ो किसानो द्वारा 20 दिनों से जारी अनिश्चित कालीन धरने से सकते में आये जिला प्रशासन की कमान खुद जिलाधिकारी ने सभालते हुए आज कार्यवाही करते हुए चित्रकूट मण्डल के सिचाई विभाग के अधिकारियो बुलाकर किसानो से सीधे सीधे मीटिंग करवाकर उनकी समस्यों का निस्तारण के हर सम्भव कदम उठाने की पहल शुरू कर दी और किसानो के साथ धोखा करने वाले अधिकारियो की जाँच की आदेश कर दिए लेकीन यहाँ भी एक पेंच फसा है अधिकारी यह भी मानते है की भूमि अभिग्रहण बिल 2015 में पास हुआ था लेकीन किसानो की जमीनों का अधिग्रहण 2013-14 में हुआ था. हाईकोर्ट का भी फैसला किसानो के विरुद्ध आ चूका है इसलिए किसानो को मुआवजा मिलना मुश्किल है !

किसानो ने कई बार जिला प्रशासन के अधिकारी से इन मामले में कार्यवाही करने की मांग करते हुए ज्ञापन सौपे लेकीन अधिकारी भी अर्जुन सहायक परियोजना में किसानो की ली गयी भूमि का सही मुआवजा दिलवाने में कोई रुची लेते हुए नही दिखे लेकीन जब किसानो ने 20 दिनों तक निरंतर अनशन किया तो जिलाधिकारी को खुद कमान सभालकर किसानो से कई चरणों में मीटिंग कर उचित कार्यवाही करने के लिए 10 दिन का लिखित अस्वाशन दिया जिसके बाद आज किसानो का क्रमिक अनशन ख़त्म हुआ ! अब देखना यह होगा की किसानो को क्या सही मुआवजा मिल पायेगा या नही या फिर एक बार फिर किसान और जिला प्रशासन आमने समाने होगे.

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