मौत के साये में पढ़ने को मजबूर मासूम, खंडहर बने विद्यालयों में डर से पढ़ने नहीं भेजते अभिभावक
शिवशक्ति सैनी
- हमीरपुर. मौत के साए में पढ़ने को मजबूर है मासूम
- योगी सरकार में खंडहरों में चलाए जा रहे हैं सरकारी विद्यालय सर पर मंडराता रहता है जान का खतरा.
- यहां जान की बाजी लगाकर पढ़ाते हैं अध्यापक,
- अभिभावक डरते हैं बच्चों को स्कूली खंडहरों में भेजने में,
सर्व शिक्षा अभियान का उड़ाया जा रहा हमीरपुर जनपद में मजाक
हमीरपुर जिला मुख्यालय में चलने वाले प्राथमिक विद्यालयों की विद्यालय बच्चों के एडमिशन होते हैं लेकिन मौत के साऐ की दहशत ऐसी है कि अभिभावक अपने बच्चों को अनपढ़ ही छोड़ देना चाहते हैं मगर इन खंडहरों में पढ़ाने को हिम्मत नहीं जुटा पाते
आज कि आधुनिक शिक्षा का अधिकार है सब पढ़े और सब बढ़े पर सवाल ये उठता है कि बच्चे आखिर कँहा पढ़े और कैसे बढ़े ? जंहा सरकार प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा दे रही है वंही हमीरपुर जिले में प्राथमिक शिक्षा अपने घुटने टेकते नजर आ रही है जिले के कई खंडहर हो चुके विद्यालयो में अभिवावक बच्चो को भेजने से और बच्चे आने से कतराते है जो बच्चे आते भी है तो उन पर ये खंडहर हुए विद्यालयो का खतरा मौत बनकर घूमता रहता है। इन विद्यालयो में न तो बच्चो के सर पर छत है और न पढने के लिए ब्लैक बोर्ड।
ये बात बुंदेल खंड के हमीरपुर जिले में बिलकुल सटीक बैठती है जंहा पर कई सरकारी विद्यालय आज भी किराये कि बिल्डिंगो पर चल रहे है जो दसको पहले खंडहरों में तब्दील हो चुके है ! जिन विद्यालयो में न तो बच्चो के सर पर छत बची है और पढने के लिए ब्लैक बोर्ड भी नही है. ऐसे में बच्चे सर्दी ,गर्मी और बरसात सभी में मौत का सामना करते है.
इन विद्यालयो में पढने कि जगह तक नही है जिस कारन से बच्चे पढने को विद्यालय आने से कतराते रहते है। ये सरकारी विद्यालय किराये कि बिल्डिंगो में चलने के कारण इन विद्यालयो कि टूट फूट हो जाने पर इस बिल्डिंग का मकान मालिक कोई मरम्मत नही कराता और न ही शिक्षा विभाग इसकी मरम्मत कराना उचित समझता है। इन विद्यालयो कि कई बार जांचो के बाद भी आज तक सरकारी जमीन मुहैया नही करायी गयी है।