क्या जनरल सुलमैनी की धमकी के बाद अमरिकी प्यादो के लिए रास्ते बंद होने लगे
आदिल अहमद
अरबी भाषा के रायुल यौम समाचारपत्र ने यमन में सऊदी अरब की निरंतर पराजय और बाबुल मंदब स्ट्रेट से सऊदी तेल टैंकरों की आवाजाही बंद होने की समीक्षा की है।
रायुल यौम के प्रधान संपादक अब्दुल बारी अतवान ने अपने लेख में लिखा है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात जो सबसे बड़ी विजय हासिल कर सकते हैं, वह यमन में अपनी पराजय को मानना, इस देश से अपने सैनिकों को बाहर निकालना और यमन को यमन के लोगों के हवाले करना है। उन्होंने लिखा है कि ईरान के इस्लामी क्रांति संरक्षक बल की क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी ने एक हफ़्ते पहले, ईरान के तेल का निर्यात रोके जाने की स्थिति में हुर्मुज़ स्ट्रेट को बंद करने के लिए अपनी तैयारी की घोषणा करके दुश्मनों के दिल में भय पैदा कर दिया था लेकिन आज हम देख रहे हैं कि लाल सागर के निकट बाबुल मंदब स्ट्रेट को बंद करने के व्यवहारिक क़दम का ख़तरा सामने आ चुका है और सऊदी अरब ने इस जलमार्ग से अपने तेल टैंकरों की आवाजाही रोक दी है। ये वही जलमार्ग है जहां से यूरोप के लिए हर दिन पचास लाख बैरल तेल निर्यात होता है। इस क़दम का एक बड़ा प्रभाव यह होगा कि मिस्र की आय का एक बड़ा स्रोत बंद हो जाएगा क्योंकि मिस्र के स्वेज़ कनाल से इन तेल टैंकरों के गुज़रने से मिस्र को होेने वाली 5.2 अरब डाॅलर की आय कम हो जाएगी।
सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ख़ालिद अलफ़ालेह ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा था कि इस देश के दो बड़े तेल टैंकरों पर अंसारुल्लाह के मीज़ाइल हमले के बाद बाबुल मंदब स्ट्रेट से सऊदी अरब के सभी तेल टैंकरों की आवाजाही अस्थायी रूप से बंद की जा रही है। इसका अर्थ यह है कि सऊदी अरब के तेल निर्यात में हर दिन आठ लाख बैरल की कमी हो रही है। अंसारुल्लाह के इस हमले के बाद तेल के मूल्य में एक प्रतिशत की वृद्धि हुई जो बाद में सामान्य हो गया लेकिन सऊदी अरब के इस फ़ैसले के परिणाम सभी की कल्पनाओं से इतर हो सकते हैं क्योंकि इसका अर्थ यह निकलता है कि अब लाल सागर सुरक्षित नहीं है और सऊदी तेल टैंकरों को अफ़्रीक़ा के दक्षिण में रजा सालेह मार्ग इस्तेमाल करना होगा जिससे उन्हें गंतव्य तक पहुंचने में अतिरिक्त 15 दिन लगेंगे और साथ ही सुरक्षा और लम्बे रास्ते का जो ख़र्च होगा वह अलग है।
इन सबका अर्थ यह भी निकलता है कि तेल की क़ीमत कम करने के लिए ट्रम्प जितनी भी चाल चल रहे हैं, वह नाकाम जाएंगे। मामला केवल आर्थिक नहीं है बल्कि सबसे अहम बात यह है कि संसार के दो अहम और रणनैतिक जलमार्ग ईरान व उसके घटकों के कंट्रोल में आ जाएंगा, पहला फ़ार्स की खाड़ी में हुर्मुज़ स्ट्रेट और दूसरा लाल सागर में बाबुल मंदब स्ट्रेट। ईरान इस मामले को अमरीका व उसके घटकों के साथ चल रहे मानसिक युद्ध में दबाव के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करेगा। यमन के हूसियों ने कई बार बाबुल मंदब स्ट्रेट को बंद करने की धमकी दी है लेकिन दूसरे पक्षों विशेष कर अमरीक व सऊदी अरब ने कभी उसे गंभीरता से नहीं लिया और अब उन्होंने आंशिक रूप से अपनी धमकी को पूरा कर दिखाया है। दूसरी ओर ईरान के जनरल क़ासिम सुलैमानी ने कहा है कि क्षेत्र में अमरीकी सैनिकों की उपस्थिति से अब लाल सागर सुरक्षित नहीं है और ट्रम्प को जान लेना चाहिए कि हम प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने इसी तरह ट्रम्प से कहा है कि युद्ध की शुरुआत तुम करोगे लेकिन उसे कब ख़त्म करना है, यह हम तै करेंगे।
रायुल यौम के प्रधान संपादक अब्दुल बारी अतवान ने अंत में लिखा है कि आज बाबुल मंदब स्ट्रेट बंद हुआ है, कल हुर्मुज़ स्ट्रेट बंद होगा, उसके बाद समुद्री बारूदी सुरंगों का नंबर होगा और अंतर में बमों और मीज़ाइलों से लैस ड्रोन विमान। कौन एेसे राष्ट्र को पराजित कर सकता जिसके अधिकतर लोग महीनों तक थोड़े से चावल या गेहूं और पानी की एक बोतल और कुछ खजूरों के साथ जीवन बिता सकते हैं और जिनकी सबसे बड़ी मनोकामना अपने वतन की राह में शहादत है? इतिहास में कभी किसी राष्ट्र ने अतिक्रमणकारियों को पसंद नहीं किया और अगर कभी कुछ लोगों ने उनसे सहयोग किया भी तो वह भय के कारण रहा है। इस मामले में अफ़ग़ानिस्तान से बहुत पाठ सीखे जा सकते हैं और यमनी राष्ट्र भी इससे अपवाद नहीं है। यमन को यमन वालों के हवाल कर दिया जाए।