बिक जाते ये 5 मासूम बच्चे अगर न होते भारत के ये सैनिक. घर वापसी के लिए नेपाली संस्था को सौंपा
फारुख हुसैन
पलिया कलां खीरी (गौरीफंटा) भारत नेपाल सीमा पर मानव तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है जिसके चलते न जाने कितने मासूम इस का शिकार हो रहे हैं और आये दिन सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेसियों को न जाने कितने मासूमों को इस तस्करी के व्यापार से बचाकर उनके माता पिता से मिलाया भी है और इसी के चलते आज फिर भारत नेपाल सीमा पर
सशस्त्र सीमा बल 39वीं वाहिनी की गौरीफंटा कंपनी एवं आसूचना ब्यूरो, गौरीफंटा की संयुक्त टीम द्वारा शनिवार को दोपहर तीन बजे के लगभग पांच नेपाली बच्चों को चाइल्ड ट्रैफकर्स के शिकार होने से बचाया है ।जिसकी जानकारी देते हुए
39वीं वाहिनी के कमांडेंट राजीव अहलूवालिया ने बताया कि उनको सूचना मिली थी कुछ नेपाली बच्चों को कुछ नेपाली काम के बहाने दिल्ली भेजने के फिराक में हैं ,जिसके चलते उन्होने तत्काल कार्यवाही करते हुए गौरीफंटा कंपनी एवं आइ बी गौरीफंटा की संयुक्त टीम ने बनगवां बाजार में तलाशी शुरू की जहाँ उन्हे पांच नेपाली बच्चे की को तलाश की ।
बच्चो ने अपना नाम सुशील विष्ट , उम्र- 12 साल , निवासी धनगढी नेपाल , इन्द्र बोगाटी , उम्र- 12 साल निवासी धनगढी नेपाल , धीरज बड़ा उम्र- 12 साल निवासी धनगढी नेपाल , निगम साऊद उम्र- 12 साल निवासी धनगढी नेपाल एवं उमेश सिंह उम्र – 13 साल निवासी धनगढी नेपाल बताया और साथ ही बच्चो ने यह भी जानकारी दी कि पांचों बच्चे धनगढी नेपाल के निवासी ज्ञानू (16) एवं रविन्द्र (17) के साथ दिल्ली जाने वाले हैं और दो दिन बाद वहां उन्हे कोई मिलेगा ।
उक्त सूचना के बाद अन्य लोगों की भी खोज की गई परंतु कोई भी नहीं मिल सका । तत्पश्चात समस्त बच्चों को सशस्त्र सीमा बल गौरीफंटा कंपनी मुख्यालय पर लाया गया जहाँ नेपाल पुलिस एवं ए पी एफ नेपाल की मौजूदगी में पुनर्वास शान्ति केंद्र की परामर्श दाता पार्वती चौधरी को अग्रिम कार्रवाई हेतु सुपुर्द कर दिया गया ।
- कमांडेंट राजीव अहलूवालिया ने बताया कि सशस्त्र सीमा बल जनसमुदाय की सुरक्षा के लिए सीमा पर सदैव तत्पर है और इस प्रकार के असामाजिक तत्वों से भारत और नेपाल के नागरिकों को बचाने के लिए सदैव तत्पर रहेगी और साथ यदि किसी को भी इस तरह की कोई सूचना मिले तो उनको इस बात की जानकारी जिससे की तत्काल कार्यवाही की जा सके ।