लखीमपुर – बहुचर्चित थाने में रेप और मर्डर केस में तीनो पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक को हुई सजा
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी = वर्ष 2011 में थाने के अंदर एक पुलिस कर्मी द्वारा अंदर कमरे मे एक चौदह वर्षीय बालिका को बुला कर रेप करने के बाद उसकी हत्या कर लाश को अपने सहयोगी के सहयोग से पीछे के पेड पर कुछ इस तरह लटका दिया गया था जैसे उसने आत्महत्या की हो. प्रकरण बहुचर्चित रहा और जिला या प्रदेश ही क्या देश भर की मीडिया में यह मामला छाया हुआ था. आज उस प्रकरण में न्यायालय ने तीनो चिकित्सको को दोषी ठहराते हुवे उनको सजा सुनाई.
घटना कुछ इस तरह थी कि वर्ष 2011 में स्थानीय थाना परिसर के पास एक पेड़ पर एक 14 वर्षीय मासूम की लाश लटकती हुई मिली थी. प्रथम दृष्टता ही मामला रेप और मर्डर का समझ आ रहा था. इस मामले ने स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध थी. परिजनों को शंका थी कि पोलिस कर्मी ने रेप के बाद मर्डर किया है. घटना में नाटकीय मोड़ तो वह था कि जब उसके शव का पोष्टमार्टम करने वाले तीन डाक्टरो के पैनल जिसमे डाक्टर एसपी सिंह डाक्टर एके शर्मा व डाक्टर एके अग्रवाल ने अपने पद व गरिमा से गद्दारी करते हुये हत्यारो को बचाने की खातिर गलत रिपोर्ट देकर मृतक के साथ रेप नहीं होने व आत्म हत्या करने की रिपोर्ट वनाकर हत्यारो को क्लीन चिट दे दी थी. जिसके बाद इस मामले में लखनऊ की टीम ने शव का दोबारा पोस्टमार्टम किया था
आज इस बहुचर्चित मामले मे लखीमपुर जिला अस्पताल के डॉ. एसपी सिंह, डॉ. एके शर्मा और डॉ. एके अग्रवाल ने गलत पोस्टमार्टम किया था। सीजेएम कोर्ट में तीनों डॉक्टरों को दोषी करार दिया है। व तीनो को तीन वर्ष की सजा और दस दस हजार रूपये जुर्माना देने के लिये कहा गया है ।
मृतक रेप पीडिता के पहले पोस्टमार्टम पैनल में शामिल रहे डॉ. एसपी सिंह, डॉ. एके अग्रवाल और डॉ. एके शर्मा के बयान इस मामले में अहम माने जा रहे थे। सीबीसीआईडी भी अपनी जांच का एक सिरा इन डॉक्टरों के बयानों पर टिकाए हुई थी।इन तीनों डॉक्टरों के पैनल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह हैंगिंग बताई गई थी। यानी मौत फांसी लगने से हुई है। इसके बाद लखनऊ से आई एक्सपर्ट टीम की रिपोर्ट ने कहा कि मौत गला दबाने से हुई है। उस रिपोर्ट के बाद उन डॉक्टरों का पैनल सवालों के घेरे में था, जिन्होंने रेप पीडिता का पहली बार पोस्टमार्टम किया था और इसी के चलते आज तीनों डाक्टरो को उनके किये की सजा दे दी है।