इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक के उच्चाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर लग रहे सवालिया निशान
30 सितम्बर तक हो जाएगा आर्यावर्त ग्रामीण बैंक में विलय
दीपक बाजपेई
महोबा. देश के प्रधानमंत्री मोदी सुशाषन, ईमानदारी, पारदर्शिता व भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था लाने के लिए भले ही प्रयास कर रहे हों लेकिन हकीकत यही है कि ये बातें भाषणों व किताबों में ही सिमट कर रह गईं हैं | भ्रष्टाचार व्यवस्था में शामिल हो गया है और इसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि अब इससे पर पाना टेड़ी खीर हो गया है.
जिसका जीत जागता उदाहरण इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक की शाखाओं सहित क्षेत्रीय कार्यालय में देखने को मिल रहा है, जहाँ भृष्टाचारियों का इस कदर बोल बाला है कि इनके आगे बड़े बड़े नतमस्तक हो जाते हैं. जी हाँ आरएम के खिलाफ लगातार लग आरोपों के बावजूद आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई , हाँ जाँच हर बार होती है जिसमें साहब को क्लीन चिट दे दी जाती है. कुछ यही हाल ऋण मैनेजर सुरेश शर्मा का है ये साहब तो दो कदम आगे हैं नोटों के लालच में अंधे होकर ननौरा बैंक प्रबंधक रहने के दौरान अपने ही रिश्तेदारों के साथ मिलकर खुद की लूट का षडयंत्र रच डाला , इनकी ऊपर तक पहुँच कहें या फिर लक्ष्मी की कृपा थाने में मुकदमा लिखा गया और इनके षड़यंत्र की पोल भले ही खुल गई थी लेकिन बैंक के उच्चाधिकारियों व जाँच अधिकारियों को सुरेश शर्मा एकदम निर्देश दिखे , तबसे आज तक जहाँ जहाँ मौका मिला जमकर भ्रष्टाचार किया , चाहे बैंक नियमों को ताक पर रख ऋण बांटना हो या फिर अपने चहेतों को ऋण माफी का लाभ दिलाना सब एकदम साफ सुथरे तरीके से करने का हुनर इन्हें आता है |
एक और महाशय के बारे में भी जान लीजिए राजेन्द्र शर्मा अपनी करतूतों के चलते ये नाम भी जिले में खासी चर्चा में रहता है , किसान क्रेडिट कार्ड में जमकर धांधली की तो वहीं एक ही किसान के नाम पर दो केसीसी बना दिये और दूसरे का पैसा खुद डकार गए , अब संपत्ति मैनेजर हैं तो आरएम के आशीर्वाद से आरओ सहित अन्य शाखाओं में संपत्ति नीलामी व खरीद फरोख्त में भी जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं. दिलचस्प बात तो यह है कि कई बार शिकायतों व मीडिया में चल रही खबरों के बावजूद ये तीनों आज भी आरओ में जमे हुए हैं यही वजह है कि बैंक के उच्चाधिकारियों की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
इस सबके बावजूद यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि करीब एक माह पहले भारत सरकार का आदेश आया था कि 30 सितम्बर तक इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक को आर्यावर्त ग्रामीण बैंक में विलय हो जाएगा , जिसके बाद कोई नया आदेश या खरीद नहीं की जाएगी , लेकिन लगभग सभी 10 क्षेत्रीय कार्यालयों में पुराने समान की मनमाने ढंग से नीलामी कर करोड़ों का नया फर्नीचर व कम्प्यूटर की खरीद क्यों की जा रही है..? अकेले महोबा आरओ में करीब एक करोड़ का फर्नीचर व कम्प्यूटर सामग्री की खरीद की गई. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुरानी अच्छी खासी सामग्री की नीलामी कौंडियों के भाव दिखा अपने चहेतों व रिश्तेदारों को दे दी गई है. वहीं सूत्रों की मानें तो नई खरीद में जमकर कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार किया गया है | जिसमें आरएम व उनके चहेतों के अलावा उच्चाधिकारियों की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं.