महोबा – रसूखदारों पर नहीं कोई पाबन्दी, चल रहा नियमो के विरुद्ध खनन
दीपक बाजपेयी
महोबा. चुनावों के दौरान खुद को ईमानदार, जुझारू व सेवक का तमगा देकर घर घर वोटों की भीख मांगने वाले जनप्रनिधियों और सियासतदानों का असली चेहरा सत्ता आने के बाद ही उजागर होता है , जिसकी बानगी महोबा सहित पूरे बुन्देलखण्ड में देखने को मिल रही है.
जी हाँ बालू खनन को लेकर सुर्खियों में रहने वाला बराना घाट सत्ताधारियों का असली चरित्र उजागर कर रहा है जहाँ धन कमाने की लालसा में अंधे हो चुके रसूखदारों में बालू खनन की होड़ मची हुई है. तो फिर क्या नियम क्या कानून..? सब ठेंगे पर है. दरअसल सरकार द्वारा नदियों सहित निजी भूमि के पट्टे आवंटित किए गए, लेकिन मानसून के चलते 30 जून से नदियों से बालू खनन पर रोक लगा दी गई, और निजी भूमि के पट्टों में बालू खनन चल रहा है, लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि सरकार ने किसानों के लाभ के लिए निजी भूमि के पट्टे दिए गए थे. लेकिन जिन पट्टों पर खनन हो रहा हैं खनन करने वालों में एक भी किसान नहीं है, सत्ता की हनक में नियम कानूनों को धता बताकर बड़े पैमाने पर बालू खनन किया जा रहा है और रोकने वाला कोई नही और रोकने की हिम्मत किसकी है जब रसूख ही खनन कर रहे हैं या फिर उनके संरक्षण में खनन किया जा रहा है. देखिये बराना घाट में गरज रहीं ये एलएनटी मशीनें सियासत के रसूख की गवाही दे रहीं हैं.
आपको बता दें कि पनवाड़ी क्षेत्र के बराना मौजा में गाटा संख्या 39 (ख) जिसका क्षेत्रफल लगभग 3 एकड़ का पट्टा कुलपहाड़ निवासी कौशल्या देवी के नाम पर स्वीकृत हुआ था लेकिन क्षेत्रफल से कई गुना क्षेत्र में अवैध तरीके से बालू खनन किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र के चर्चित खनन माफियाओं में शुमार बड़े बाबू पर एक पूर्व माननीय व एक वरिष्ठ नेता जी का आशीर्वाद है, राजनैतिक गलियारों में चल रही सुगबुगाहट तो यही साबित कर रही है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में नेता जी ने टिकट की दावेदारी के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है और अभी से ही चुनावी फील्डिंग सजाने में मशगूल हो गए हैं.
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अवैध खनन की नाव पर सवार होकर नेताजी लोकसभा पहुंचने के सपने देख रहे हैं..? क्योंकि चर्चाओ के अनुसार क्षेत्र के चर्चित खनन माफिया पर नेता जी का आशीर्वाद किसी से छुपा नहीं है और यही वजह है कि आम जनता के बीच नेता जी की खासी फजीहत भी हो रही है.
वहीं दूसरी तरफ पत्थर मंडी से उभरे नए नवेले नेताजी की खनिज मंत्री से रिश्तेदारी सभी पर भारी पड़ रही है, तभी तो कुछ दिनों पूर्व अपना वर्चस्व कायम करने के लिए बराना घाट में अंधा धुंध फायरिंग कर दहशत फैलाने का प्रयास किया था, हालांकि मौके पर पहुँची पुलिस ने सचिन तिवारी सहित चार के खिलाफ मामला दर्ज किया था और लाइसेंस निरस्त करने की कार्यवाही भी की थी, लेकिन यहाँ भी रसूख की हनक प्रशासनिक कार्यवाही पर भारी पड़ गई और चंद दिनों में ही मामले को दबा दिया गया.
अब देखना यह है कि खुद को संस्कारी और ईमानदार का ढिंढोरा पीटने वाले क्या सख्त कदम उठा पाएगे या फिर अवैध खनन का यह खेल आने वाले चुनावों में भारी पड़ जाएगा.