गौं भक्त सरकार में गौशालाओं की उपेक्षा, 14 महीनेे से नहीं मिला अनुदान

आसिफ रिज़वी

मऊ। उत्तर प्रदेश में नई सरकार आने के बाद माना जा रहा था कि गौशालाओं के दिन बहुरेंगे लेकिन महीनों बीतने के बाद भी गोशालाओं कि स्थिति दयनीय बनी हुई है। सरकार ने अवैध बूचड़खानों पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया था। जिसके बाद प्रदेश में खुले घूम रहे पशुओं की संख्या बढ़ गई। जगह-जगह गौशालाएं खोलने, गौ उत्पादों को बढ़ावा देने आदि का काम तेजी से होने का दावा किया जा रहा है। पर सीएम योगी के गढ़ और उनके पूर्व संसदीय क्षेत्र गोरखपुर से सटे जनपद मऊ में गौशाला बदहाल पड़े हैं। जनपद में दो रजिस्टर्ड गोशालाएँ हैं जहाँ पशुओं कोे चारे के संकट का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ के प्रबंधकों की मानें तो योगी सरकार में 14 महीने से उन्हें कोई अनुदान नहीं मिल रहा है। जिसकी वजह से कई गायें भुखमरी के कगार पर पहुंच रही हैं।
मऊ दसई पोखरा क्षेत्र में स्थित दशकों पुराना श्री गोपाल गौशाला जिला प्रशासन एवं प्रदेश सरकार  की उपेक्षा का शिकार हो चुकी हैं। हालात ये हैं कि पूर्व की कई सरकारों में गौशाला के लिए मिलने वाले फण्ड के लिए आवेदन तो किया जाता था लेकिन फिर सरकारी सब्सिडी नहीं मिली। श्री गोपाल गौशाला के प्रबंधक बाबुलाल अग्रवाल कहते हैं कि सरकार की तरफ़ से गौशाला को कोई सहयोग नहीं दिया जा रहा। यदि सरकारी सहयोग मिले तो गायों को भरपेट चारा मुहैया कराया जा सकेगा। सरकारी अनुदान के सवाल पर उन्होंने बताया कि योगी सरकार के 14 महीनों के कार्यकाल में भी अनुदान नहीं मिला। गौशाला में गायों की देख-रेख करने वाले गणेश शर्मा ने बताया कि सरकार कि तरफ से कोई सहायता नहीं मिलने से गायों की देखभाल ठीक तरीके से नहीं हो पा रही है। वो सालों से लोगों से चंदा मांगकर गायों की देख-रेख कर रहे हैं। प्रदेश की योगी सरकार यदि अभी भी सुध लेती है तो गोशालाओं की स्थिति सुधारी जा सकती है। वही इस सम्बन्ध में अपर निदेशक पशुपालन विभाग के डा. जीसी द्विवेदी ने बताया कि अनुदान के लिए फाइल शासन के गौ सेवा आय़ोग को भेजी गयी हैं। जल्द ही पशुओं के देख रेख के लिए अनुदान मिल जायेगा।

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