जिसको भी मौका मिला सबने लूटा बारी-बारी।पूर्व प्रधान हों चाहे वर्तमान, शौचालय की रकम खाने में भी संकोच नहीं
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी-घोटालों के रोज नए रिकार्ड बना रही जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत लुधौरी।
शौचालय की रकम खाने में भी संकोच नहीं।आवास घोटाला और सौर ऊर्जा घोटाला के बाद अब लुधौरी में शौचालय घोटाला।
जिले के ईमानदार और मानवीय संवेदना रखने वाले डी एम साहब से यहाँ के लोगों को न्याय की पूरी उम्मीद।
अफ़सोस!भ्रष्टाचार के समुन्दर में गोते लगा रहे प्रधान को तनिक भी शर्म नहीं।जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत लुधौरी एक बार फिर से सुर्खियो में है।प्रधान द्वारा मनरेगा घोटाला,आवास घोटाला ,सौर ऊर्जा घोटाला करने के बाद अब शौचालय योजना में जमकर घोटाला किया जा रहा है।इस योजना का लाभ पात्रों तक न पहुँचकर अधिकतर प्रधानों के चहेतों को दिया गया है।उनसे बचने के बाद जिनको शौचालय दिए गए हैं उन्हें न तो पूरा ईटा दिया जा रहा है और जो दिया भी गया है वह पूरी तरीके से कच्चा व पीला ईटा है जो कुछ ही समय में भरभरा कर गिर जायेगा।इसके बावजूद शौचालय बनवाने वाले ग्रामीणों से प्रधान व उनके गुर्गे रकम वसूली भी खूब कर रहे हैं।
यह वही प्रधान है जिसकी रानीगंज निवासी एक युवक ने मनरेगा घोटाले की कलई खोल दी थी उस युवक ने पूरे पुख्ता सबूत के साथ इसकी शिकायत तत्कालीन डीएम सहित मुख्यमन्त्री से की थी और यह मुद्दा कई दिनों तक न्यूज चैनल से लेकर अखबारों तक छाया रहा था मगर प्रधान ने ले देकर ब्लाक के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों को अपने पाले में कर लिया और मामला रफा दफा करा दिया।इसके बाद भी प्रधान पंचायत में आई योजनाओं का लाभ गरीबों में कम अपने चहेतों को ज्यादा देता रहता है।उक्त प्रधान जो चुनाव लड़ने के समय हाथी पर सवार था बेईमानी से चुनाव जीतने के बाद हाथी की सवारी छोड़कर साईकिल पर सवार हो गया और जब सपा सरकार चली गई तब इसने अपने कारनामों का कच्चा चिट्ठा खुलने के डर से भाजपा की जीत पर फर्जी भांगड़ा भी किया था और इसको लेकर गाँव में इस प्रधान की खूब फजीहत भी हुई थी।
यह प्रधान करीब आधा दर्जन से ज्यादा दलालों को गोद लिए है जिससे प्रधानी वे खुद चलाते हैं।और यह एक कठपुतली बनकर रह गया है।यह सभी दलाल सुबह की चाय रोजाना प्रधान के घर पर बैठकर पीते हैं।
इसी तरह एक पूर्व प्रधान ने भी लुधौरी की जनता को खूब लूटा।
लुधौरी पंचायत की भोली भाली जनता ने पिछले चुनाव में एक ऎसे गरीब ब्यक्ति को प्रधानी के मैदान में उतार कर उसके सिर पर प्रधानी का ताज रख दिया था ।जिसके पास रहने के लिए एक कालोनी मात्र थी और वह एक प्राइवेट स्कूल में हजार बारह सौ रूपये में नौकरी करता था। लोगों ने सोचा कि गरीब ब्यक्ति प्रधान बना तो गरीबों का उद्धार हो जायेगा।पर ऐसा हुआ नही।प्रधान बनते ही यह अपनी सारी जिम्मेदारी भूल गया।इसके दलालों ने जो कमाई करनी शुरू की वह दूसरे चुनाव तक चलती रही।एक कालोनी में पूरे परिवार के साथ रहने वाला एक गरीब ब्यक्ति देखते ही देखते एक दो सालों में ही एक आलीशान मकान का मालिक बन बैठा।
यहाँ तक कि जिसके पास एक साइकिल नही थी वह मोटरसाइकिल से चलने लगा।साधारण स्कूल में पढ़ने वाले उसके बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ने लगे। जरुरत के हर साधन उपलब्ध हो गए।प्लाट से लेकर कई जमीनें खरीद लीं।बैंको में लाखों रूपये जमा हो गए।मगर लुधौरी में तो इसने शायद ही किसी की कालोनी बनवाई हो या किसी को किसी योजना का लाभ दिया हो। जबकि इसके कार्यकाल में कई योजनाएं आयीं जिसमें इसने खूब कमाई की। जनता के कागजों पर मुहर लगाने के अलावा गरीबों का कोई ऐसा काम नही किया इसने। सरकार द्वारा क्षेत्र में एक मॉडल स्कूल बना तो इसका श्रेय ये स्वयं अपने आपको दे रहा है जैसे इसने अपने उसे निजी पैसे से बनवाया है।हाँ इतना जरूर किया कुछ बेगुनाहों को अपनी बेवकूफी के चलते उन्हें जेल की हवा खिला दी है।ऎसे हैं ये जनता के सेवक।
लेकिन ये भी एक अटल सत्य है कि यहाँ के जिस भी प्रधान ने गरीबों के हिस्से का पैसा खाया,उन्हें इसकी बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है।तमाम उदाहरण सामने हैं।फिर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे।