अनशन समाप्त कर अस्पताल भेजे गए बीमार किसानों ने डॉक्टरों पर लगाए कई आरोप
सरताज खान
गाजियाबाद। लोनी मंगलवार देर रात पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारियों ने आवास- विकास परिषद के बाहर बैठे अनशनकारी किसानों के बीच पहुंचे और उन्हें शासन से वार्ता कराने का भरोसा देते हुए उनका अनशन समाप्त कराने के लिए राजी कर लिया। जूस पिलाने के बाद सभी किसानों को उपचार हेतु संयुक्त जिला चिकित्सालय, गाजियाबाद भर्ती कराया गया। इस दौरान वहां एक किसान की तबीयत बिगड़ जाने पर उन्होंने इसका कारण ग्लूकोस की बोतल में फफूंदी होने का आरोप लगाते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की। हालांकि बाद में डॉक्टरों के समझाने-बुझाने पर मामला शांत कर दिया गया था। और अगले दिन सभी बीमार किसान वापस मंडोला लौट आए। जिन्होंने अपनी सफल वार्ता तक धरना जारी रखने की बात कही है।
बता दे कि आवास-विकास परिषद की मंडोला विहार योजना से प्रभावित किसान पिछले लगभग 22 माह से आंदोलनरत है जो 15 अगस्त से आमरण अनशन पर बैठे हुए थे। अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे किसानों के मामले को तूल पकड़ता देख आखिर मंगलवार देर रात लगभग 11 बजे एसएसपी वैभव कुमार कृष्ण, एडीएम प्रशासन, एसपी देहात ए के मोर्य, पुलिस क्षेत्राधिकारी दुर्गेश कुमार व उपजिलाधिकारी सतेंद्र कुमार आदि धरना स्थल पर बैठे अनशनकारी किसानों के बीच पहुंचे और उनका अनशन समाप्त कराने के लिए लगभग 1 घंटे तक बातचीत की। और शनिवार के दिन उनकी शासन स्तर पर वार्ता कराने का भरोसा देते हुए उन्हें अनशन समाप्त करने के लिए मना लिया।
अस्पताल भेजें बीमार अनशनकारियों ने लगाए वहां गंभीर आरोप
अनशन समाप्ति के बात प्रशासन द्वारा सभी बीमार अनशनकारी मनवीर तेवतिया, नीरज त्यागी, सोमदत्त सिशोदिया, नवीन त्यागी व बलवीर त्यागी सभी को संयुक्त चिकित्सालय ले जाकर उन्हें आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया। जहां मामला एक बार फिर उस समय तूल पकड़ता हुआ नजर आया जब नीरज त्यागी को दिए जा रहे ग्लूकोज के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई। किसानों ने ग्लूकोस की बोतल में फफूंदी होने का आरोप लगाते हुए नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना था कि अस्पताल में सभी कर्मचारी ठेके के अधीन हैं जिनकी कार्यकौशलता भी संदिग्ध है। वहां के डॉक्टर भी उनके उपचार के दौरान कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं। यहां तक की उनके उपचार के दौरान फफूंदी युक्त पुरानी ग्लूकोस की बोतलो का प्रयोग किया जा रहा है। जिसकी शिकायत करने के बावजूद न ही किसी डॉक्टर ने सुनवाई करी और न ही किसी अधिकारी ने फोन उठाया। और अंत में उन्हें 100 नंबर कॉल पर पुलिस बुलानी पड़ी। जिसने आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन देते हुए किसानों से लिखित शिकायत पत्र देने की बात कही। इसपर बीमार किसानों ने जिला प्रशासन द्वारा स्वयं कार्रवाई कर दोषियों को सजा देने के लिए मांग की। हालांकि अंत में वहां मौजूद सीएमओ डॉक्टर एन के गुप्ता, डॉक्टर अशोक व अन्य अधिकारियों द्वारा समझा-बुझाकर उन्हें संतुष्ट करते हुए मामला किस तरह शांत किया। हालांकि इसके बाद सभी बीमार अनशनकारी किसान वहां से वापस मंडोला धरनानास्थल पर लौट आए।
धरना रहेगा जारी
आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों द्वारा शनिवार के दिन शासन से वार्ता कराए जाने के आश्वासन पर उन्होंने अपना आमरण अनशन जरूर समाप्त कर दिया है। मगर जबतक कोई सफल वार्ता नहीं होगी उनका यह आंदोलन इसी प्रकार जारी रहेगा। और परिस्थितियों अनुसार आगे निर्णय लिया जाएगा।