इस्राईली क्यों स्वीकार करने लगा कि हिजबुल्लाह मध्यपूर्व की दूसरी सबसे ताकतवर सेना है क्या इस्राईल गुमराह करने की कोशिश कर रहा है
आदिल अहमद
इस्राईल के सैनिक नेतृत्व के बड़े कमांडर ने हिज़्बुल्लाह के बारे में कहा कि वह पूरे मध्यपूर्व के इलाक़े में इस्राईल के बाद दूसरी सबसे ताक़तवर सेना है तो हमें यह सुन कर हैरत नहीं हुई।
हैरत न होने का कारण बहुत सादा सा है और वह यह कि हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली सेना को दो बार शिकस्त दी है। पहली बार वर्ष 2000 में जब हिज्बुल्लाह ने दक्षिणी लेबनान से इस्राईली सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। हिज़्बुल्लाह की छापमार कार्यवाहियों के आगे इस्राईली सेना के हाथ पांव फूल गए थे अतः उसे दक्षिणी लेबनान से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा था। दूसरी बार वर्ष 2006 में हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली सेना को हराया था और अभी हाल ही में हिज़्बुल्लाह ने अपनी जीत की 12 वीं वर्षगांठ मनाई है।
यह बात भी ध्यान योग्य है कि आज कल इस्राईली सेना जो भी सैन्य अभ्यास करती है उसका एक ही लक्ष्य होता है कि हिज़्बुल्लाह से युद्ध हो जाने की स्थिति में कैसा उसका मुक़ाबला किया जाएगा और जब हिज़्बुल्लाह की ओर से इस्राईल द्वारा क़ब्ज़े में लिए गए इलाक़ों पर हिज़्बुल्लाह के मिसाइल बरसेंगे तो उस स्थिति को कैसे नियंत्रण में किया जाएगा।
दो दिन पहले की बात है कि इस्राईली सेना की गोलान हाइट्स ब्रिगेड ने जिसे इस्राईली सेना का एक शक्तिशाली बाज़ू समझा जाता है एक सप्ताह का सैन्य अभ्यास पूरा किया है। इस अभ्यास का उद्देश्य भी यही था कि हिज़्बुल्लाह से युद्ध हो जाने की स्थिति में कैसे उसका मुक़ाबला किया जाए। इससे पहले लेबनान की सीमा के क़रीब स्थित अजलील के इलाक़े में अधिक व्यापक स्तर पर इस्राईली सेना की टैंक युनिट का अभ्यास हुआ। उसका उद्देश्य भी हिज्बुल्लाह का मुक़ाबला करना था।
इस्राईली अख़बार यदीऊत अहारोनोत ने इस्राईली सेना की रिपोर्टों के आधार पर यह समाचार दिया कि हिज़्बुल्लाह को हथियारों की नई खेप मिली है जिसमें अधिक आधुनिक हथियार हैं। इनमें रातों को देखने के लिए प्रयोग होने वाले आधुनिक यंत्र और ड्रोन विमानों की रोक थाम के लिए प्रयोग होने वाले इलेक्ट्रानिक यंत्र शामिल थे जबकि एसे मिसाइल भी उसे मिले हैं जिन पर 500 किलोग्राम का वारहेड फ़िट हो सकता है। इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में ड्रोन विमान मिले हैं।
यह बात ध्यान योग्य है कि इस्राईली सेना किसी भी अरब सेना से निपटने के लिए अभ्यास नहीं कर रही है बल्कि सारे अभ्यास हिज़्बल्लाह से लड़ने के लिए किए जाते हैं क्योंकि अधिकतर अरब देशों की सरकारें इस्राईल से रिश्ते बनाने में व्यस्त हैं और उसे शत्रु के बजाए घटक के रूप में देख रही हैं। हद तो यह हो गई है कि अमरीका की अगुवाई में कुछ अरब सरकारें इस्राईली सेना के साथ मिल कर संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रही हैं।
हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने बिल्कुल सही कहा था कि हिज़्बुल्लाह इलाक़े में दूसरे नंबर की नहीं बल्कि सबसे ताक़तवर फ़ोर्स है। यहां ताक़त का मापदंड आधुनिक युद्धक विमान और टैंकों, तोपों और सैनिकों की संख्या नहीं है बल्कि ताक़त का मापदंड है लड़ने की क्षमता, फ़ैसले करने का साहस, क़ुरबानी देने का जज़्बा। यही कारण है कि इस्राईली सैनिक नेतृत्व पर हिज़्बुल्लाह का डर छाया हुआ है। वह एक सैन्य अभ्यास ख़त्म नहीं होने पाता कि दूसरा शुरू कर देते हैं कि कहीं 2006 वाली शिकस्त का उन्हें फिर से न सामना करना पड़ जाए।