तारिक आज़मी की मोरबतिया – वाराणसी नगर आयुक्त साहब, सीवर के पानी में कारोबार तो बह गया, अब हम लोगो को बचा ले – क्षेत्रीय दुकानदार

तारिक आज़मी

वाराणसी. हमारे प्रदेश की एक कहावत, हमारे काका कहते रहे है अक्सर कि बतिया है कर्तुतिया नाही, मेहर है घर खटिया नाही. ता भैया अब बतिया तनिक समझ आई है काहे की खटिया का जमाना खत्म हो गया है, और ई तो जग जाहिरे है कि भैया हम बस बतियाते है. हम पहले ही आप सबका बता देते है कि हम बतिया करेगे अब का करे बतिया करने से समस्याएं भी हल हो जाती है मगर हम कैसे हल कर देंगे ? समस्या जब विकराल हो। तो भैया हम तो पहले ही कह देते है साफ़ साफ़ कि हम खाली बतियाते है, अब किसी को अगर इ बतिया से बुरा लगे तो न पढ़े भाई हम कोई जोर जबरदस्ती तो कर नहीं रहे है कि पढ़बे करो साहेब। तो साहेब बतिया शुरू करते है और बतिया की खटिया बिछा लेते है.

वाराणसी के कारोबार का वाराणसी ट्रेड सेंटर का अगर किसी मार्किट को नाम देना है तो शायद दालमंडी क्षेत्र को यह खिताब मिले. दशको से हमारी छोटी बड़ी ज़रुरतो की पूर्ति करती यह बाज़ार आज अपने अस्तित्व पर खतरा महसूस कर रही है. कारण है इस क्षेत्र में विगत 2 वर्षो के लगभग से बह रहा सीवर का पानी. सीवर का पानी शाम 5 बजे से बहाना शुरू हो जाता है और रात 9 बजे तक बहता रहता है. क्षेत्र की स्थिति कुछ इस प्रकार हो जाती है कि रास्ता चलना दूभर हो जाता है. खास तौर पर मरियम अस्पताल से लेकर खजूर वाली मस्जिद के मोड़ तक तो स्थिति नरकीय हो जाती है. पैदल निकलना तक दूभर हो जाता है और लगभग 7 इंच से लेकर 12 इंच तक का जलभराव इस इलाके में हो जाता है.

इस सम्बन्ध में जब हमने स्थानीय वयापरियो से बात किया तो नमकीन का कारोबार करने वाले अतहर ने बताया कि क्षेत्र में सीवर के पानी का भराव ऐसा हो जाता है जैसे बाढ़ आई हो. इस कारण से हमारा क्या पूरी मार्किट का कारोबार ठप हो गया है. मेरी खुद की बिक्री लगभग 70% तक कम हो चुकी है.

पर्स का कारोबार करके अपनी आजीविका चलाने वाले राजू और फहीम ने कहा कि क्षेत्र में कारोबार की यह स्थिति हो चुकी है कि ग्राहक जलभराव के कारण आते ही नहीं है. कई बार ऐसा भी हुआ है कि हम लोगो की पूरा दिन गुज़र जाने के बाद बोहनी तक नहीं होती है. हम सब व्यापारी जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक को पत्र लिख कर अपनी अर्जी लगा चुके है मगर कोई सुनवाई नहीं.

हलवाई की दूकान चलाने वाले और अपने हलवे के लिये मशहूर नासिर और आर्टिफिशियल ज्वेलरी का काम करने वाले आलम ने बताया कि कारोबार लगभग खत्म हो चूका है,. पहले से अब के बीच में बिक्री में 80% तक कमी आ चुकी है. ग्राहंक दूकान तक जलभराव के कारण पहुच ही नहीं पा रहे है तो फिर कहा से दुकानदारी होगी. हम सब दौड़ते दौड़ते थक चुके है मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

समाजसेवी बबलू कुरैशी ने बताया कि इलाके की हालत दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है. कारोबार पूरी तरह से टूट चूका है क्योकि जब ग्राहक के आने लायक जगह नहीं होगी तो ग्राहक क्यों आयेगे और कैसे आयेगे ? उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के कुछ छोटे दुकानदार ऐसे भी है जो रोज़ कुआ खोद पानी पीने जैसी स्थिति में है, उनके कारोबार पर असर कुछ इस तरह पड़ा है कि वह भुखमरी के कगार पर पहुच चुके है.

क्या कहते है ज़िम्मेदार 

हमारी मोबाइल पर नगर प्रमुख से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि समस्या संज्ञान में है, प्रोजेक्ट फ़ाइनल होकर सेंशन हो चूका है इसी हफ्ते में काम लग जायेगा और समस्या दूर हो जायेगी.

आपसी राजनीत चमकाने में मस्त रहते है समाज सेवक 

क्षेत्र में ऐसा नहीं है कि राजनितिक चेहरों और समाज सेवको की कमी हो. एक पूर्व राज्य मंत्री का आवास भी इसी इलाके में है. मगर क्षेत्र की स्थिति आज भी दयनीय है, भले हमको अपने पैसे खर्च करके हमारे उपयोग की वस्तु इस बाज़ार से प्राप्त हो जाती है मगर मूलभुत सुविधाये यहाँ नग्न स्थिति में है. इसमें पूर्व राज्यमंत्री को छोड़ सभी समाजसेवक दो खेमो और कभी कभी तीन खेमो में बटे हुवे नज़र आते है. किसी भी सामाजिक कार्य करवाये कोई भी मगर सब उसका सेहरा बांधने के लिये आतुर रहते है और बात बढ़ने पर आपसी झगडे और जनबल का भी प्रदर्शन हो जाता है. एक उदहारण के तौर पर इस क्षेत्र की सीवर समस्या को हमने अपनी खबरों पर प्रमुखता से प्रकाशित किया था, खबर का संज्ञान सम्बंधित विभाग द्वारा लिया गया था और समस्या का निस्तारण करने के लिये कर्मियों ने काम भी किया. इस काम का श्रेय लेने के लिये दो गुट आमने सामने हो गये और एक दुसरे के खिलाफ नारेबाजी तक हो गई थी.

तो भैया अब हमारी बतिया की खटिया उठाते है और कल फिर एक बार बतिया लेंगे आप लोगो से और बतायेगे कि सफाई कर्मियों के होने के बावजूद हर तरफ गन्दगी दिखाई देती है आखिर ज़िम्मेदार कौन है. वैसे हम तो पहले ही कहा था कि भैया हम खाली बतियाते है. काम तो नगर आयुक्त ही कर सकते है और वो हमसे वायदा भी किये है कि काम हो जाएगा. अब देखते है कि साहब अपने वचन पर खरे कितना उतरते है. अब तो बतिया का खटिया उठा लेते है.

फोटो और वर्जन

निलोफर बानो, कोमल चौरसिया और बुशरा जिकरा

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *