एक माँ कर रही है, मर कर भी जेल गये बेटे का इंतज़ार

सरताज खान

गाजियाबाद। लोनी नगर पालिका तहसील गेट के सामने चाय की दुकान चलाकर अपनी बहू और पोता-पोती का भरण-पोषण करने वाली इस संसार को छोड़कर बिदा कह देने वाली वृद्ध महिला अब पिछले 3 दिन से अपने अंतिम संस्कार के लिए जेल गए अपने पुत्र के पैरोल पर आने की बाट जोह रही है। जबकि उसका दामाद इसके लिए तभी से लगातार संबंधित विभागीय अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। मगर लगभग 60 घंटे बीत जाने के बाद भी के पुत्र को लाने के लिए आदेश पारित नहीं हो सके थे। नतीजन मृत वृद्ध महिला के शव की स्थिति कभी भी बिगड़ जाने के कगार पर है।

मूल रूप से ग्राम पंजोखरा (बागपत) के रहने वाले स्व0 ओमपाल की धर्मपत्नी सरोज पिछले लगभग 8 वर्षों से लोनी के खन्ना नगर में रहती आ रही है। जिसके परिवार में उसका एक पुत्र राजीव, उसकी पत्नी ममता के अलावा उनके तीन छोटे-छोटे उनके बच्चे हैं। सरोज के इकलौते पुत्र राजीव को किसी मामले में धारा 302 के अंतर्गत हुए आजीवन कारावास की सजा हो जाने पर वह पिछले करीब 6 वर्षों से जेल में सजा काट रहा है। पहले से आर्थिक तंगी से गुजर रहे परिवार का भरण-पोषण करने के लिए लगभग 60 वर्षीय उक्त वृद्ध महिला लोनी तहसील के गेट के सामने तभी से चाय की दुकान चलाती आ रही है।

अचानक बीमारी ने छीन ली जिंदगी

अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली वृद्ध महिला की मंगलवार के दिन अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। जिसे शाहदरा के जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उपचार के दौरान अगले दिन वह मौत और जिंदगी के बीच की जंग हार गई थी।

पुत्र की इंतजार में नहीं हो सका अंतिम संस्कार

उक्त महिला का स्वर्गवास हो जाने के बाद शव को घर पर तो लाया गया, मगर उसके अंतिम संस्कार के लिए सभी को मृतका के सजायाफ्ता इकलौते पुत्र की जरूरत महसूस हुई। जिसके लिए मृतका के संबंधी खासतौर पर उसका दामाद संजीव महिला का स्वर्गवास हो जाने के बाद से ही उसके पुत्र को अंतिम संस्कार के लिए पैरोल पर लाने की अनुमति के लिए लगातार संबंधित अधिकारियों से गुहार करता घूम रहा है। जिसे शुक्रवार देर शाम तक भी इसकी परमिशन नहीं मिल सकी थी।

शव की स्थिति बनी नाजुक

उधर घर में रखे हुए शव को लगभग 60 घंटे बीत चुके हैं हालांकि उसे बर्फ के बीच रखा गया है। मगर अब उससे बदबू आनी शुरू हो गई है। परिजनों का कहना है कि यदि जल्दी ही उसके अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं की गई तो शव की हालत बिगड़ सकती है। जिसकी जिम्मेदारी मृतका के पुत्र को अंतिम संस्कार करने के लिए अनुमति प्रदान न करने वाले अधिकारियों की होगी।

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