बाबा बड़ेशिव धाम की महिमा अपरम्पार

प्रदीप दूबे विक्की

गोपीगंज(भदोही)काशी-प्रयाग के मध्य गोपीगंज नगर के पूरब दिशा में स्थित बाबा बड़ेशिव धाम शिवालय पर नित्यप्रति सेकड़ों लोग दर्शन-पूजन के लिये पहुंचते हैं।नगर से विन्ध्याचल धाम जाने वाले रास्ते से लगभग 500 मीटर दूर स्थित इस पवित्र स्थल पर इस समय श्रावण माह तक कांवरियों का जमावड़ा रहता है।बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 16वीं शताब्दी में निर्मित हुआ, लेकिन शिवलिंग स्थापना काल की सटीक जानकारी किसी को नहीं है।

मंदिर का इतिहास

लोक मान्यता है कि एक बार अयोध्या के महाराजा शिव जो भगवान श्रीरामचंद्र जी के पूर्वज थे, आखेट के लिए निकले थे।जंगल में भूख-प्यास से व्याकुल हो गए।एक साधू ने उनको दर्शंन दिया और उनकी छुधा शांत करने के बाद अन्तर्ध्यान हो गए ।जिस स्थान पर साधू ने. उनको दर्शन दिया था, राजा ने उसी स्थान पर एक शिवलिंग की स्थापना की।समय के साथ वह शिवलिंग जमीन के अन्दर धंस गया।एक दिन एक सर्प गोपीगंज मे एक सज्जन के घर आकर कहीँ चलने के लिए इशारा किया।कहा जाता है कि सर्प जब उस स्थान पर पहुंचा तो वहीं अपना फन पटकने लगा।लोगों ने जब उस जगह की खोदाई करायी तो एक शिवलिंग निकला, जिसकी स्थापना कर दी गई।

यही स्थान आगे चलकर बडेशिव के नाम से चर्चित हुआ।मंदिर परिसर के चारों तरफ हनुमानजी, गर्भगृह में नंदी, बगल में गणेश जी, शीतला माता, माता पार्वती की मूर्तियां विराजमान है।मंदिर के सामने तालाब में सुशोभित कमल के फूल मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं।लगभग 80वर्ष पूर्व मोरंग के राजा जो कि राजा बाबा के नाम से प्रसिद्ध थे,इस स्थान को अपनी तपोस्थली बनाया था।इस समय सावन माह मे कांवरियों का रेला उमड़ रहा है।

मंदिर की विशेषता

लोगों का मानना है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है, उसे बाबा भोलेनाथ अवश्य पूरा करते हैं।यहाँ भोलेनाथ के दर्शंन और स्मरण से सर्व मनोइच्छाएं पूर्ण होती है।

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