भाजपा पर बरसे धरनारत, किसानों के बीच पहुंचे अधिकारियों ने महिलाओं का तुडवाया अनशन

सरताज खान
गाजियाबाद। लोनी मंडोला आवास-विकास योजना से प्रभावित पिछले लगभग 22 मह से धरनारत किसानों का आंदोलन लगातार जारी है जहां 7 महिला व 11 किसान 14 अगस्त से आमरण अनशन पर बैठे हैं। संदर्भ में किसी समाधान के मद्देनजर रविवार के दिन गाजियाबाद पहुंचे किसानों को वहां से बैरंग लौटने के बाद अब उन्होंने जलग्रहण न करने की भी चेतावनी दी थी। जिन्होंने सोमवार सुबह धरना स्थल पर बोलते हुए मौजूदा सरकार पर उंगली उठाते हुए अपनी भड़ास निकाली। वहीं इसी दौरान धरना स्थल पर पहुंचे आला अधिकारियों ने धरनारत किसानों को समझा-बुझाकर आमरण अनशन पर बैठी 7 महिलाओं
का अनशन तुड़वाने में सफलता हासिल की।

सोमवार सुबह लगभग 12 बजे धरना स्थल पर पहुंचे पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने किसानों को बहुत जल्द मुख्यमंत्री से वार्ता कराने का आश्वासन देते हुए उन्हें किसी तरह समझा-बुझाकर वहां आमरण अनशन पर बैठी 7 महिलाओं का अनशन तूडआ देने के लिएअपील की। जिसके लिए किसान राजी हो गये। हालांकि खबर लिखे जाने तक किसान व आला अधिकारियों के बीच वार्ता जारी थी। जिनमें एस पी ए के एके मौर्य, एडीएम प्रशासन, उप जिलाधिकारी लोनी व सत्येंद्र कुमार सिंह, आदि शामिल थे।
इससे पूर्व भाजपा के प्रति अपनी टीस निकाल रहे धरनारत किसानों का कहना था कि मंडोला ग्राम
वासियो की भाजपा में कितनी निष्ठां थी, जिस समय बागपत क्षेत्र से स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को देवता की तरह पूजा जाता था।

उस समय भी मंडोला वासी भाजपा के सम्मान व पहाड़ की तरह अडिग खड़े रहते थे। और उसी समय का प्रमाण है जब स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को मंडोला गांधी स्मारक इंटर कॉलिज में बुलाकर अपनी निष्ठां का परिचय दिया। मगर आज मंडोला  क्षेत्र वासियो को उनकी भाजपा में अपनी निष्ठां का परिचय दिया। मगर आज मंडोला  क्षेत्र वासियो को उनकी भाजपा में निष्ठां का जो सिला मिला है, उससे यही लगता है कि  भाजपा का चरित्र ही बदल गया है ।मंडोला समेत 6 गांव के किसान व भाजपा के वोटर को समाजवादी पार्टी की सरकार में न्याय दिलाने की बात कहकर भाजपा पदाधिकारियो ने ही धरने पर बैठाया था।

यही कारण था कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर पीड़ित धरनारत किसानो में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। किसान अपनी सरकार बनने पर फुले नही समा रहे थे। भोले भाले किसानो को यह अंदाजा ही नही था कि वर्तमान में जिन लोगो के हाथो में सत्ता की बागडोर है उन्हें किसान से कुछ लेना देना नही है। इसका प्रमाण भी किसानो के खेतो पर परिषद का जबरन कब्जा कराने व किसानो व किसान परिवार की महिलाओ पर लाठी चार्ज कराकर दिया गया। पीड़ित मंडोला समेत 6 गांव के किसान इस उम्मीद के साथ बैठे हैं कि कोई मशीहा उनको न्याय दिलाने में उनकी मदद करेगा। पीड़ित भाजपाई किसान इतना मन अवश्य बना चुके हैं कि भविष्य में जो भी पार्टी किसानो को न्याय दिलाने में उनकी मदद करेगी किसान उसके ही साथ रहेंगे। यदि भाजपा ही किसानो के साथ अपनी संवेदना दिखाकर उनके साथ न्याय करेगी तो किसान भाजपा से ही जुड़े रहेंगे।

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