गुरुजन अपने प्रेमी शिष्य को गुप्त-से-गुप्त बात भी बता दिया करते हैं- पंडित दीपक शास्त्री
फारुख हुसैन
पलिया कला लखीमपुर खीरी। शहर के ठाकुर द्वारा राम मंदिर मे सप्तम श्री गणेशोत्सव बडी ही धूम धाम से मनाया जारहा है। जिसमे प्रति दिन श्रीमद् भागवत कथा व पूजन किया गया बॅन्दावन से पधारे कथा व्यास पंडित दीपक शास्त्री ने भगवत
भागवत पुराण की महिमा बताते हुये कहा कि यह अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं।
इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। एक बार भगवान विष्णु एवं देवताओं के परम पुण्यमय क्षेत्र नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषियों ने भगवत्प्राप्ति की इच्छा से सहस्र वर्षों में पूरे होने वाले एक महान् यज्ञ का अनुष्ठान किया। एक दिन उन लोगों ने प्रातःकाल अग्निहोत्र आदि नित्यकृत्यों से निवृत्त होकर सूतजी का पूजन किया और उन्हें ऊँचे आसन पर बैठाकर बड़े आदर से यह प्रश्न किया।
ऋषियों ने कहा- सूतजी! आप निष्पाप हैं। आपने समस्त इतिहास, पुराण और धर्म शास्त्रों का विधिपूर्वक अध्ययन किया है तथा उनकी भलीभाँति व्याख्या भी की है। वेदवेत्ताओं में श्रेष्ठ भगवान बादरायण ने एवं भगवान के सगुण-निर्गुण रूप को जानने वाले दूसरे मुनियों ने जो कुछ जाना है- उन्हें जिन विषयों का ज्ञान है, वह सब आप वास्तविक रूप में जानते हैं। आपका हृदय बड़ा ही सरल और शुद्ध है, इसी से आप उनकी कृपा और अनुग्रह के पात्र हुए हैं। गुरुजन अपने प्रेमी शिष्य को गुप्त-से-गुप्त बात भी बता दिया करते हैं। आयुष्मान्! आप कृपा करके यह बतलाइये कि उन सब शास्त्रों, पुराणों और गुरुजनों के उपदेशों में कलियुगी जीवों के परम कल्याण का सहस साधन आपने क्या निश्चय किया है।
गोकरण और धुन्थ कारी प्रकरण की कथा का रस पान कराया
गया।और गणेश जी का षोडशोपचार पूचन बंदन कर प्र साद का वितरण किया गया।
इस अवसर पर गणेश चौथ सेवा समित के सेवादारो सहित शहर के गणमान्य लोज व गणेश भक्त मौजूद रहे।