साहब एक नज़र इधर भी देखिए किस तरह से प्राइवेट बस वाले किस तरह यात्रियों की जान ज़ोखिम में डाल के चलते हैं क्या किसी बड़ी घटना का इंतेज़ार में प्रशासन

फारूक हुसैन

मैगलगंज खीरी। अगर आपको अन्य जनपदों से व्यापार करने के लिए कोई भी सामान बिना टैक्स की भरपाई किये लाना व ले जाना हो तो इसके लिए सीतापुर, लखीमपुर व हरदोई जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों से प्राइवेट बसों की सुविधा उपलब्ध है। जो बिना किसी रोकटोक के प्रशासन की देखरेख में आसानी से दिल्ली आने जाने के लिए संचालित हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं उन प्राइवेट बसों की जो अवैध रूप से बिना किसी परमिट के नियमित रूप से लखीमपुर, सीतापुर व हरदोई जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिदिन देश की राजधानी दिल्ली के लिए संचालित हैं। बताते हैं कि यह अवैध कारोबार योगी सरकार में नही बल्कि पूर्व में रही सपा सरकार से चल रहा है। जब प्रदेश में सपा से भाजपा सरकार आई तो कुछ दिन के लिए तो ये प्राइवेट बसें बन्द कर दी गईं लेकिन इस अवैध ट्रांसपोर्टिंग में संलिप्त बस मालिकों के रसूख व मोटी रकम की चमक के आगे योगी सरकार का भ्रष्ट प्रशासन नतमस्तक हो गया।और नियम कानून को ताक पर रखकर प्राइवेट बसों का संचालन फिर शुरू हो गया। इन प्राइवेट बसों के आगे कोई भी यात्री परिवहन निगम की बसों में सफर नहीं करता जिसका कारण यह है कि प्राइवेट बस संचालक निगम की बसों से आधे किराए पर दिल्ली पहुंचा देते हैं और इसके लिए यात्रियों को अपने गांव से ही नियमित समय पर प्राइवेट बस की सुविधा मिल जाती है।

निगम की सरकारी बसों से आधा किराया लेकर कैसे होती है बस मालिकों को बचत।
अब सवाल यह उठता है कि प्रति यात्री निगम की सरकारी बसों से आधा किराया वसूलकर प्राइवेट बस संचालकों को बचत कैसे होती है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ व्यापारियों ने बताया कि इन प्राइवेट बसो में प्रतिदिन लाखों रुपए की टैक्स चोरी कर दिल्ली से रेडीमेड गारमेंट, हौजरी, इलेक्ट्रॉनिक समेत कॉपर बाइंडिंग का तार लाया जाता है। जो दिल्ली में एक निश्चित स्थान से इन बसों की डिक्की, शीटों के नीचे व छतों पर लोड किया जाता है और गुप्त रास्तों से दिल्ली यूपी बॉर्डर क्रास कर संचालित होतीं हैं। इसके अलावा बस संचालकों ने जगह जगह अपने निश्चित ठिकाने बनाकर मैनेजर तैनात कर रखे हैं जो ग्रामीण क्षेत्र की सवारियों की एडवांस किराया लेकर शीट बुकिंग करते हैं। शीटें बुक होने के बाद भी बस चालक व हेल्पर गांव गांव होते हुए सवारियों को बस के अंदर व छतों पर बैठाकर दिल्ली के लिए सफर करते हैं। क्षमता से दोगुनी सवारियां भरकर व टैक्स बचाकर दिल्ली से माल लाने व ले जाने का मनचाहा भाड़ा व्यापारियों से वसूलकर प्रति बस बीसों हजार की बचत कर यह व्यापार फलफूल रहा है।

नोटों की चमक व सफेदपोश नेताओं के संरक्षण के आगे प्रशासन ने बन्द कर रखी हैं अपनी आंखें।
सरकारी नियमानुसार नेशनल हाइवे पर सवारियों को ढ़ोने के लिए प्राइवेट बसों का परमिट नहीं जारी किया जा सकता ऐसा करने पर इन प्राइवेट बसों को सुसंगत धाराओं में चालान काटकर सीज करने का अधिकार आरटीओ व पुलिस के सक्षम अधिकारियों को प्राप्त है। लेकिन बावजूद इसके प्रतिदिन दर्जनों प्राइवेट बसें दिल्ली के लिए नेशनल हाइवे 24 पर बिना किसी भय के फर्राटा भरती देखी जा सकती हैं। जो क्षमता से अधिक सवारियां व अवैध सामान दिन रात ढ़ो रहीं हैं। यह बसें सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, गढ़मुक्तेश्वर, हापुड़, गाजियाबाद आदि जनपदों की सीमाओं में प्रवेश कर नेशनल हाइवे से प्रतिदिन गुजरती हैं क्या इन जनपदों के एआरटीओ, सेलटैक्स अधिकारियों व पुलिस अधिकारियों की नजर इन बसों पर नहीं पड़ती है। आखिर क्या कारण है कि सब कुछ जानने के बाद भी यह अधिकारी इन बसों पर कार्यवाही नहीं करते। ऐसा आखिर क्या है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

हादसों के बावजूद भी नही चेतते अधिकारी।
अभी लगभग एक डेढ़ वर्ष पूर्व लखीमपुर जनपद के पसगवां थाना क्षेत्र की उचौलिया चौकी क्षेत्र में हाइवे पर खड़े एआरटीओ को देख दिल्ली से आ रही प्राइवेट बस चालक ने गांव के कच्चे रास्ते से होकर बस निकालने का प्रयास किया था तभी कच्चे रास्ते के ऊपर से होकर निकली एचटी लाइन का तार टच हो जाने से बस में आग लग गई थी और जैसे तैसे बस में सवार यात्री अपनी जान बचाकर बस से निकल पाए थे। इसके अलावा एक हादसा नेशनल हाइवे पर बरेली के पास हुआ था जिसमें तेज रफ्तार व गलत दिशा में जा रही प्राइवेट बस की टक्कर सामने से आ रहे टैंकर से हुई थी इस हादसे में भी टक्कर लगने से बस में आग लग गई थी।आस पड़ोस मौजूद लोगों ने जैसे तैसे बस में सवार यात्रियों को बाहर निकालकर उनकी जान बचाई थी।

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