स्वच्छ भारत अभियान को मुह चिढ़ाता तहसील परिसर का यह शौचालय
दानिश अफगानी
बलिया। बिल्थरारोड तहसील परिसर में शौचालय की दशा अति निन्दनीय हैं। दरअसल इस सामुदायिक शौचालय का निर्माण चौकिया ग्राम सभा के माध्यम से हुआ सन2007- 2008 वितिय वर्ष में हुआ दिनाक 26 फरवरी 2008 दिन मंगलवार को जिसका लोकार्पण उस समय की जिलाधिकारी मयूर माहेश्वरी के द्वारा किया गया
आश्चर्यजनक बात ये है कि पिछले पाँच वर्षों से देश के प्रधानमंत्री की मुख्यधारा शौचालय हैं। लेकिन तथाकथित जनता कही जागरूक तो हुई पर शासन प्रशासन जस की तस हैं। तहसील में हज़ारों की संख्या में लोगो का आना जाना लगा रहता हैं। लेकिन जनता फीस देने व तारीख लेने में ही व्यस्त रहती है अगर किसी को जरूरत भी पड़ी तो तहसील परिसर में कही खड़े होकर मूत्र कर चल देता हैं।
हालांकि अधिवक्तागण का अलग व्यवस्था इस कारण अपने मुवक्किलों की कोई परवाह नही करते यदि कोई महिला जमीन रजिस्ट्री करवाने या कोई अन्य महिला अपने किस कार्य से आ गई तो फिर वापस घर लौट कर ही सौचालय की व्यवस्था हो पाती होगी लेकिन रोज आये दिन अधिकारी बलिया शौचालय की मीटिंग के बहाने या हकीकत में बलिया रहते है। वही स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाता हुआ तहसील बिल्थरारोड उपजिलाधिकारी व तहसीलदार को मुह चिढ़ाता हुआ देखा जा सकता है सार्वजनिक स्थान पर इसतरह की घोर लापरवाही शासन की देन हैं।चिराग तले अंधेरा का मुहावरा चरितार्थ होता है।क्या ये मान लिया जाए कि वर्तमान की उत्तर प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार उन कार्यो को जो पहले हो चुके हैं उनको अनदेखी कर रही हैं।या जान भुझ कर अधिकारी ऐसा कर रहे है। अगर ऐसा नही है।तो उस प्रधान को जिन्होंने पब्लिक हेतु ये सराहनीय कार्य कराया राम जनम चौरसिया जी को मंच के माध्यम से सम्मानित करना चाहिये।जिनकी सोच वर्तमान सरकार की सोच से 10 साल आगे थी।परन्तु ये असम्भव हैं क्योकी अच्छे व्यक्तितित्व के लोगो को या अच्छे कामो को सिर्फ इतिहास के पन्नो में जगह मिलती हैं।अधिवक्तागण कभी भी अपने मुवक्किलों को सुविधा देना सायद पसन्द नही करती या कुछ लोग चाह कर भी नही आवाज उठाते कुल मिलाकर सिर्फ हो हल्ला हैं ।क्या कभी भी उपजिलाधिकारी या अन्य अधिकारी तहसील कार्यालय क्षेत्र परिसर का निरक्षण नही करते हैं शायद नही वरना तहसील परिसर में बने सार्वजनिक शौचालय का ये दिन दसा नही होता।