मनुष्य द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य जिससे ईश्वर प्रसन्न हो, इबादत है
शादाब हुसैन बहराइच
बहराइच 19 अक्टूबर। फातहे कर्बला हज़रत ईमाम हुसैन की सबसे छोटी बेटी शहीदान-ए-ज़िन्दान बीबी सकीना की याद में इमाम बारगाह अकबरपुरा बहराइच मे मजलिस का आयोजन किया गया। जिसे ईमाम-ए-जमात ईमामिया मस्जिद अकबरपुरा मौलाना सैय्यद मुनतसिर हुसैन रिज़वी ने खिताब किया।
मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना सैय्यद मुनतसिर हुसैन रिज़वी ने कहा कि कुरान शरीफ में अल्लाह का फरमान है सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड जो भी चीज़ पैदा की गयी है कि उसके पीछे कोई न कोई कारण छिपा हुआ है। ईश्वर ने किसी भी वस्तु को बिना किसी वजह के पैदा (खल्क) नहीं किया है। मौलाना ने कहा कि ईश्वर ने संसार में मनुष्य को सिर्फ और सिर्फ इसलिए भेजा है कि वह उसकी उपासना (ईबादत) करे। मौलाना ने कहा कि सिर्फ नमाज़ पढ़ लेना, रोज़ा रख लेना व गरीबों की मदद कर देने का नाम इबादत नहीं है बल्कि इंसान द्वारा किया गया हर वह काम जिससे ईश्वर प्रसन्न हो, उपासना (ईबादत) की श्रेणी में आता है।
कर्बला के मैदान में ईबादत का ज़िक्र करते हुए मौलाना ने कहा कि तपते रेत के मैदान में तीन दिन की भूख व प्यास के बीच ईमाम हुसैन व उनके साथियों ने तीरों की बारिश में नमाज़ पढ़ कर ईबादत की न भुलाई जा सकने वाली मिसाल कायम की। उन्होंने कहा कि 10 मोहर्रम के बाद कर्बला से शाम व शाम से लेकर मदीना तक का सफर गवाह है कि असिरान-ए-कर्बला कभी भी याद-ए-इलाही से फरामोश नहीं हुए। मौलाना ने कहा कि तीन दिन की भूख और प्यास के साथ कर्बला के मैदान में सजदे की हालत में नाना के दीन की रक्षा (बक़ा) के लिए सर कटा देने वाले इमाम हुसैन के बेटे सैय्यदे सज्जाद के सज्दों का यह आलम था कि उन्हें कयामत तक ज़ैनुलआब्दीन के नाम से याद किया जाता रहेगा। मजलिस के पश्चात नौशद अली, हसन अब्बास, मोहसिन अब्बास, तबरेज़ हुसैन व अलमास हसन आदि ने नौहाख्वानी तथा मातमी दस्तों ने मातम किया।