हज़रत अब्बास अलमदार की याद में शब्बेदारी का आयोजन

अंजुमनों ने नौहा व मातम के ज़रिये कर्बला के शहीदों को पेश किया खेराजे अक़ीदत

सुशील कुमार

घोसी मऊ। नगर के बड़ागाँव में बृहस्पतिवार की रात 8 बजे कर्बला के शहीद हज़रत अब्बास अलमदार की याद में एक शबबेदारी का आयोजन किया गया जिस में मुल्क की मशहूरो मारूफ अंजुमनों एव गांव की अंजुमनों ने नौहा व मातम पेश किया।

इस अवसर पर मौलाना मज़ाहिर हुसैन ने तक़रीर करते हुए कहाकि जब ख्यामे हुसैनी में पानी की एक बूंद भी नही बचती है बच्चे हाय प्यास हाय प्यास की सदा बुलन्द करते हैं तो इमाम हुसैन (अ) ने भाई अब्बास को बच्चो के लिए पानी की सबील करने का हुक्म देते हैं। अब्बास अलमदार ने अलम में मशके सकीना बांधा और नहरे फोरात पर गये। हज़रत अब्बास को आता देख नहरे फोरात से यज़ीदी फौज ये कहते हुए भागी की ये हाशमी शेर है इस से लड़ना आसान नही है। हज़रत अब्बास अलमदार ने मशके सकीना में पानी भरा जैसे ही उमरे साद ने ये देखा तो अपनी फौज को ये हुक्म दिया कि ख्यामे हुसैनी तक एक बूंद पानी नही पहुचना चाहिए। भागी हुई फौजें सिमटी और हज़रत अब्बास पर चारो तरफ से हमला कर दिया। तीरों और नैज़ों की बौछार होने लगी अब्बास अलमदार के दोनों हाथ कट गए फिर भी कोशिश में थे कि पानी किसी तरह ख्यामे हुसैनी तक पहुच जाए।

लेकिन एक ज़ालिम ने ऐसा तीर मारा की मश्क़ ए सकीना में छेद हो गया और सारा पानी बह गया। अब्बास की आस टूटी घोड़े को दरिया की तरफ मोड़ा एक ज़ालिम ने ऐसा नैज़ा मारा की अब्बास अलमदार घोड़े पर सँभल नही पाये। ज़मीन पर गिर पड़े इमाम हुसैन (अ) को मदद के लिए बुलाते हैं। इमाम पहुंच कर देखते हैं कि जवान भाई खून में लतफत ज़मीने कर्बला पर पड़ा हुआ है। ये मंज़र इतना दिलसोज़ था कि जिसे देख इमाम ने मर्सिया पढ़ा कि भाई तुम्हारे ग़म में मेरी कमर टूट गयी। इमाम ने भाई के सर को अपने जानू पे रखा और कहा कि अगर कोई आखरी ख्वाहिश हो तो बयान करो अब्बास ने कहा मौला आखिरी बार आप की ज़ेयारत करना चाहता हु लेकिन एक आंख में तीर लगा है और दोसरी आंख में खून भरा है इमाम ने खून साफ किया। अब्बास अलमदार ने इमाम की ज़ेयारत की और कहा आक़ा मेरा लाशा खैमे में न लेजाना मैं सकीना से बहुत शर्मिंदा हु उसे पानी नही पिला सका ये कहते हुए रूह गुलशन जन्नत को परवाज़ कर गयी। कर्बला के इसी शहीद को खेराजे अक़ीदत पेश करने के लिए इस शबबेदारी का आयोजन किया जाता है।

इस अवसर पर अंजुमन जाफ़रिया पतार आज़मगढ़ ने सलाम पेश किया
अब्बास का ज़माने में चर्चा यही तो है,
शाने खुदा अली का सरापा यही तो है।
बरेली से आई अंजुम यादगारे हुसैनी ने दर्द भरा नौहा पढ़ा
कहा अब्बास ने ऐ मेरे आक़ा बताओ क्या करूँ मैं,
सकीना को मैं देखूँ कैसे प्यासा बताओ क्या करूँ मैं।
जिसे सुनकर उपस्थित लोग चीख मार मार कर रोने लगे।

इस अवसर पर अंजुमन शाने हैदरी कुंदरकी मुरादाबाद, अंजुमन सज्जदिया कोपागंज, अंजुमन तंज़ीमुल हुसैनी, अंजुमन सज्जदिया, अंजुमन मसूमिया, अंजुमन हुसैनी मिशन, अंजुमन मसूमिया क़दीम रजि, अंजुमन इमामिया, अंजुमन मसूमिया रजिस्ट्रर्ड, दस्त ए मसूमिया ने भी नौहा व मातम के ज़रिए कर्बला के शहीदों को खेराजे अक़ीदत पेश किया। शबबेदारी का संचालन मौलाना शफ़क़त तक़ी करबलाई ने किया। शबबेदारी में मुख्य रूप से डॉ अब्बास, डॉ तनवीर कौसर, अरशद फ़ैयाज़, मासूम मज़हर, फ़ैज़ अहमद, मो अजमल, राजा एलिया, मो कामरान, शौकत रज़ा, बाबू असग़र, मोहम्मद अली नासरी, बेलाल अहमद, अली नक़ी, नज़रे हुसैन, शाजान अब्बास, मो इमरान आदि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *